Sports

ओस्लो: फुटबॉल दुनिया के सबसे पसंदीदा खेलों में से एक है क्योंकि इसमें पूरे मैच के दौरान रोमांच चरम पर होता है लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से खेल में रुकावट आ रही और इससे लय टूट रही है। हाल ही में कतर में हुए विश्व कप में इस खेल के कई पहलू देखने को मिले। किसी के लिए यह परीकथा (लियोनेल मेस्सी ने अपने विश्व कप करियर को एक जीत के साथ खत्म किया) तो किसी के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों (मेस्सी, कायलिन एमबापे, लुका मोड्रिच) के कौशल को एक जगह देखने का मौका था। इसमें कुछ चमत्कारिक प्रदर्शन (रिचार्लिसन की यादगार किक) दिखे तो कई बार कमजोर मानी जाने वाली टीमों (मोरक्को, जापान, सऊदी अरब) ने स्थापित और मजबूत टीमों को हराकर ‘डेविड और गोलियथ' की कहानी को सच किया। 

फीफा फुटबॉल विश्व कप के फाइनल में वीडियो सहायक रेफरी (वीएआर) के कारण खेल में रुकावट ने कई बार दर्शकों का मजा किरकिरा किया। वीएआर के लिए छह बार मैच को रोका गया। इससे दुनिया भर के फुटबॉल प्रशंसकों के साथ उपविजेता रही फ्रांस की टीम को भी निराशा हुई। वीएआर के लिए रेफरी जब मैदान के बाहर टेलीविजन का सहारा लेते हैं तो उस समय एक-एक सेकंड घंटे की तरह लगता है। ऐसे में कई बार गोल उन चंद मिलीमीटर पर निर्भर करता है जिसे हम शायद अपनी आंखों से नहीं देख सकते। 

कई फुटबॉल प्रशंसक मानते है कि फुटबॉल में पहले से ही फ्री किक, कॉर्नर, चोटों जैसी चीजों से देरी होती है और वीएआर से इसमें और इजाफा हो रहा है। खेल अर्थशास्त्र में परिणाम की अनिश्चितता काफी मायने रखती है। यह एक साधारण अवधारणा है कि हमें परिणाम पहले से पता है, तो हम शायद मैच देखने में समय बर्बाद नहीं करेंगे। वीएआर का एक और पहलू यह है कि इससे मजबूत टीमों को फायदा हो रहा है। यह इस तरह काम करता है। अगर रेफरी के रिप्ले देखने के बाद पेनल्टी किक की संख्या बढ़ती है तो यह बेहतर टीमों के लिए मददगार होगा जो अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ गोल पर अधिक मौके बनाते हैं। इससे प्रतिद्वंद्वी टीम के खेमे से अधिक फाउल और उनके खिलाफ अधिक पेनल्टी किक मिलने की संभावना होती है। आम तौर पर लगभग 75 प्रतिशत पेनल्टी किक गोल में बदलती हैं।