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बेंगलुरू : भारतीय पुरुष टीम के अनुभवी स्ट्राइकर एस.वी. सुनील ने शनिवार को कहा कि खिलाडिय़ों और सहयोगी स्टाफ के बीच दो-तरफा संवाद के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने 8 बार की ओलंपिक चैंपियन टीम की विश्व हॉकी में फिर से दबदबा बनाने में मदद की है। पिछले एक दशक में पुरूष और महिला राष्ट्रीय टीमों के पुनरुत्थान पर जोर देते हुए सुनील ने कहा- जब मैं 2007 में सीनियर भारतीय टीम में आया तब स्थिति काफी अलग थी। राष्ट्रीय टीम के प्रबंधन के मामले में 10-12 साल पहले की तुलना में अब काफी बदलाव आया है। अब पेशेवर रवैया है और जवाबदेही काफी बढ़ गयी है।

उन्होंने कहा- इस व्यवस्थित दृष्टिकोण ने निश्चित रूप से पिछले कुछ वर्षों में टीम के सुधार में योगदान दिया है। सुनील ने कहा- पहले हम वहीं करते थे जो कोच कहते थे, उस पर कोई सवाल या तर्क नहीं होता था। यह पिछले कुछ वर्षों में काफी बदलाव आया है और अब दो-तरफा संचार व्यवस्था में अभ्यास सत्र की योजना बनाने में खिलाड़ी भी शामिल होते है।

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कर्नाटक के 31 साल के इस अग्रिम पंक्ति के खिलाड़ी ने बताया कि हॉकी इंडिया अब सीनियर खिलाडिय़ों से संपर्क कर यह जानने की कोशिश करता है कि चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रहीं हैं। उन्होंने बताया- मुझे लगता है कि इन पहलुओं ने खिलाडिय़ों के साथ-साथ सहयोगी कर्मचारियों को भी अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनाया है। इसके साथ ही इसने भारत (पुरुष टीम) को विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंचाने में भी काफी मदद की है।

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कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन और बेंगलुरु में राष्ट्रीय शिविर के दौरान जिस तरह से चीजों को संभाला गया ,उससे सुनील खुश है। उन्होंने कहा- हम हॉकी इंडिया और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) द्वारा इस तरह की देखभाल से खुश है। साइ के बेंगलुरु परिसर में सुरक्षित माहौल तैयार किया गया है। उन्होंने कहा- यह बायो-बबल (जैव-सुरक्षित माहौल) की तरह है, जिसमें बाहर से कोई संपर्क नहीं होता है और महासंघ टीम के मुख्य कोच के साथ निरंतर संपर्क में रह कर हर खिलाड़ी की सेहत पर करीब से नजर रखता है।