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खेल डैस्क : सचिन तेंदुलकर जब 10 साल के थे जब वह पहली बार वानखेड़े स्टेडियम में आए थे। इसी स्टेडियम में इतने सालों बाद अब उनके 50वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनकी कांस्य की प्रतिमा लगाई जा रही है। बुधवार शाम को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शरद पवार और वरिष्ठ राजनेता सहित राजनीतिक गणमान्य व्यक्तियों के सामने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया गया था।


सचिन इस मौके पर भावुक होते हुए दिखे। उन्होंने कहा कि यह 1983 की बात है और वेस्टइंडीज विश्व कप के बाद भारत आया था। तब काफी उत्साह था। यह कहानी शायद किसी ने नहीं सुनी होगी। बांद्रा में मेरे भाई के दोस्तों - जिनकी उम्र 30 या 40 के बीच होगी - ने मैच देखने का फैसला किया। इसमें बाद में मैं भी शामिल हो गया। मैंने नॉर्थ स्टैंड में बैठकर पूरे खेल का लुत्फ़ उठाया। तभी मैंने समूह में किसी को यह कहते हुए सुना- अच्छा मैनेज किया ना। मुझे एहसास हुआ कि उनके पास केवल 24 टिकट थे और हममें से 25 मैच देखने गए थे। 

 

 

 

यह 1983 में कपिल देव की अगुवाई वाली टीम की विश्व कप जीत थी जिसने तेंदुलकर के क्रिकेटर बनने के बीज बोए। कप विजेता टीम का हिस्सा बनने का उनका सपना 2011 में उनके करियर के अंतिम पड़ाव पर सच हुआ। अब उनकी नजरें रोहित शर्मा पर हैं जोकि क्रिकेट विश्व कप 2023 में टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे हैं। 

टीम इंडिया की संभावनाओं पर सचिन ने कहा कि हमारी टीम पूरी तरह से एक अलग ब्रांड का क्रिकेट खेल रही है। उन्होंने अब तक जिस तरह से खेला है उसे देखकर मुझे बेहद गर्व और खुशी हो रही है। वे जानते हैं कि क्या करना है. मैं नजर नहीं लगाना चाहता। मैं जानता हूं कि हर किसी की प्रवृत्ति होती है कि वह सब कुछ कह देता है और फिर कहता है कि दबाव मत लो। यह उस तरह काम नहीं करता. इसलिए, मैं और कुछ नहीं कहूंगा।

 

 

 

तेंदुलकर ने 2028 लॉस एंजिल्स खेलों में क्रिकेट को शामिल करने के अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक परिषद के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह शानदार खबर है कि क्रिकेट ओलंपिक में है। इसलिए, हमारे लिए स्वर्ण पदक हासिल करने का एक और मौका है। बीसीसीआई सचिव जय शाह ने कहा कि 2019 में पदाधिकारी बनने के बाद से ही तेंदुलकर निर्णय लेने में योगदान दे रहे हैं। इस मौके पर तेंदुलकर की पत्नी अंजलि, बेटी सारा और बड़े भाई अजीत भी मौजूद थे।