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बुखारेस्ट, रोमानिया (निकलेश जैन ) भारत के 19 वर्षीय ग्रांडमास्टर प्रज्ञानानंदा आर ने सुपरबेट चैस क्लासिक का जीतकर अपना पहला ग्रांड चेस टूर खिताब हासिल कर लिया है । एक बेहद रोमांचक तीन-तरफ़ा टाईब्रेक में उन्होंने फ्रांस के अलीरेज़ा फिरोज़ा और मैक्सिम वाचिए-लाग्राव को पीछे छोड़ते हुए यह खिताब अपने नाम किया। यह इस वर्ष उनका दूसरा बड़ा खिताब है और इसके साथ ही उन्होंने फीडे सर्किट 2025 में अपनी शीर्ष स्थिति को और मजबूत किया है और एक तरह से अगले कैंडिडैट के लिए अपना दावा मजबूत कर लिया है । 7 से 16 मई तक बुखारेस्ट में आयोजित इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में विश्व के 10 शीर्ष ग्रांडमास्टर्स ने भाग लिया। टूर्नामेंट की शुरुआत से ही अंकतालिका में करीबी मुकाबला देखने को मिला और कोई स्पष्ट लीडर नहीं था। परंतु नौवें राउंड में अमेरिका के वेस्ली सो के खिलाफ निर्णायक जीत के साथ प्रज्ञानानंदा ने बढ़त बना ली।

फाइनल राउंड का रोमांच
अंतिम राउंड में प्रज्ञानानंदा ने लेवोन अरोनियन के खिलाफ एक आसान ड्रॉ खेलकर कम से कम सयुंक्त पहले स्थान की गारंटी कर ली थी। फबियानों कारुआना को विश्व चैंपियन डी गुकेश के खिलाफ जीत की ज़रूरत थी, परंतु वह काले मोहरों से कोई मौका नहीं बना सके और मुकाबला ड्रॉ रहा।

वहीं दूसरी ओर अलीरेज़ा फिरोज़ा ने मेजबान देश के बोगदान-डैनियल डैक के खिलाफ बेहद जोखिम उठाते हुए खेला। डैक ने 52वीं चाल पर बड़ी चूक कर दी, और फिरोज़ा ने पूरा अंक हासिल कर लिया। इसी तरह मैक्सिम वाचिए-लाग्राव ने पोलैंड के जान-क्रिज़स्टॉफ डूडा की एक गलती का लाभ उठाते हुए जीत दर्ज की।

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टाईब्रेक में दिखा प्रज्ञानानंदा का कमाल
प्रज्ञानानंदा, फिरोज़ा और एमवीएल के बीच चैंपियन तय करने के लिए 5 मिनट + 2 सेकंड की बढ़त के साथ एक राउंड-रॉबिन टाईब्रेक खेला गया। पहला मुकाबला अलीरेज़ा और प्रज्ञानानंदा के बीच गिउको पियानो ओपनिंग में खेला गया, जो संतुलित खेल के बाद ड्रॉ रहा। दूसरे मुकाबले में एमवीएल और फिरोज़ा ने भी अंक बाँटे, जहाँ फिरोज़ा ने काले मोहरों से कैरो-कैन डिफेंस में शानदार बचाव किया।निर्णायक मुकाबला प्रज्ञानानंदा बनाम वाचिए-लाग्राव के बीच हुआ। एंडगेम में वाचिए-लाग्राव ने पहले बराबरी का मौका गंवाया और फिर कुछ चालों बाद निर्णायक भूल कर बैठे। प्रज्ञानानंदा ने इसका पूरा फायदा उठाते हुए जीत दर्ज की और खिताब अपने नाम किया।
यह जीत न केवल प्रज्ञानानंदा के करियर की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाता है कि वह अब विश्व शतरंज के शिखर पर स्थायी रूप से जगह बना चुके हैं। ग्रांड चैस टूर जैसे मंच पर उनकी यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण है।

विश्व चैम्पियन डी गुकेश नें अंतिम दो राउंड में 1.5 अंक बनाते हुए अंतिम समय में अंक तालिका में सातवाँ स्थान हासिल करते हुए टूर्नामेंट का समापन किया ।