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खेल डैस्क : भारतीय निशानेबाज मेराज अहमद खान (Meraj Ahmed Khan) कोरिया के चांगवोन में आई.एस.एस.एफ. विश्व कप राइफल के दौरान स्कीट शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने हैं। 2 बार के ओलिम्पियन खान ने स्वर्ण पदक जीतने से पहले क्वालीफाइंग के 2 दिनों में पुरुषों की स्केट में 119-125 का स्कोर किया था। 45 वर्षीय खान उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के जमींदारों के एक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता इलियास अहमद स्टेट लेवल ट्रैप शूटर रह चुके हैं। 1998 में कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद खान ने शूटिंग में रुचि लेना शुरू कर दिया।

 

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खान ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत वर्ष 2003 में इटली के लोनाटो में आई.एस.एस.एफ. विश्व कप के दौरान की थी। साल 2021 के लिए दुनिया में 14वें स्थान पर रहे। उन्हें टोक्यो ओलिम्पिक में पुरुषों की स्केट में प्रतिस्पर्धा करते देखा गया था। खान ने 2016 रियो डी जनेरियो ओलिम्पिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। खान ने रियो डी जनेरियो में 2016 आई.एस.एस.एफ. विश्व कप में रजत पदक और दिल्ली में 2010 राष्ट्रमंडल निशानेबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। अपनी तैयारियों पर उन्होंने कहा कि खुदा जो भी करता है अच्छे के लिए करता है। हम कड़ी मेहनत करते हैं और चैंपियनशिप के लिए तैयारी करते हैं। हर खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता है। लेकिन यह सब तब सामने आता है जब सभी तैयारियों, रणनीतियों और मानसिक शक्ति की परीक्षा ली जाती है। सभी खिलाड़ी समान स्तर के हैं, लेकिन केवल एक को जीतना है। और यहीं से हमारी मेहनत रंग लाती है। खान ने कहा कि ओलिम्पिक जैसे बड़े आयोजनों में हिस्सा लेने के लिए आपको काफी कुर्बानियां देनी पड़ती हैं। मैंने परिवार, दोस्ती सब कुछ छोड़ दिया। पिछले 25 सालों से सिर्फ घर और शूटिंग में ही व्यस्त रहता हूं। 

 

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कोविड महामारी के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान एथलीटों का प्रशिक्षण बहुत प्रभावित हुआ है। महामारी ने सब कुछ बदल दिया। लेकिन एक फायदा यह भी हुआ है कि हमें ट्रेनिंग का समय ज्यादा मिला है। पिछली बार मेरे पास ओलिम्पिक के लिए कम समय था। हमारे पास फिटनेस के लिए भी अधिक समय है। पिछली बार मैं बहुत उत्साहित था, पिछली बार मैं उतना दबाव में नहीं था, लेकिन जब मैं दबाव में होता हूं तो बेहतर प्रदर्शन करता हूं।

 


दिलचस्प बात यह है कि खान बचपन से ही क्रिकेट के शौकीन थे और जामिया क्रिकेट टीम में शामिल हो गए थे। लेकिन उनके चाचा ने खान की आंख और उनकी कोहनी के कोण को देखकर उन्हें निशानेबाजी करने की सलाह दी और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनका जुनून निशानेबाजी में बदल गया और पदक जीतना ही उनका एकमात्र लक्ष्य बन गया।