शेटराउ : इतिहास रचने वाली मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में अपनी शानदार उपलब्धि से प्रभावित नहीं हुई हैं लेकिन यह तो समय ही बताएगा कि यह 22 वर्षीय निशानेबाज भारत आने पर मिली शोहरत और दौलत के बाद भी इस मुकाम पर बनी रह पाती हैं या नहीं। स्वतंत्रता के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनने के बाद मनु ने खुद को 3 महीने का ब्रेक दिलाया है। तीन दिन के अंतराल में दो कांस्य पदक जीतकर मनु भारत के महान खिलाड़ियों की छोटी सूची में शामिल हो गई हैं। शनिवार को तीसरा पदक जीतने की प्रबल संभावना थी लेकिन वह 25 मीटर पिस्टल फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं। मनु ने 10 मीटर पिस्टल में कांस्य पदक जीतने के बाद सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित टीम पिस्टल स्पर्धा में एक और कांस्य पदक जीता।
निशानेबाजी रेंज में उनके निजी कोच जसपाल राणा हमेशा उनके साथ थे और कोई भी इस बात पर भरोसा कर सकता है कि वे मनु को कम से कम तब तक तो जमीन पर ही रखेंगे जब तक वे साथ हैं। हालांकि नकद पुरस्कारों और विज्ञापनों के माध्यम से उन्हें लाखों डॉलर मिलने वाले हैं और ऐसे में केवल खेल पर ध्यान केंद्रित करना एक चुनौती हो सकती है। वह अभी तक भारत वापस नहीं आई हैं लेकिन उनकी प्रबंधन कंपनी को ई-कॉमर्स से लेकर स्किनकेयर उत्पादों तक के वाणिज्यिक गठजोड़ के लिए 40 से अधिक प्रस्ताव मिल चुके हैं।
खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद मनु ने कहा कि उनके लिए बदलाव का कोई कारण नहीं है और फिलहाल उनका एकमात्र एजेंडा अगले तीन महीनों में विभिन्न प्रकार के भारतीय भोजन खाना है। मनु ने कहा कि मैं यह सब (प्रसिद्धि और धन) संभालने के बारे में नहीं जानती। मुझे लगता है कि मैं सिर्फ अपनी निशानेबाजी और इसके आसपास की अन्य दिनचर्या (जिम और योग) पर ही टिकी रहूंगी। भगवान आपको जो देता है उसे स्वीकार करें और जो आपके पास है उससे लोगों की मदद करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अभी मैं अगले 3 महीनों तक सिर्फ तरह-तरह के भारतीय पकवान खाना चाहती हूं। मुझे नहीं लगता कि जसपाल सर मुझे सुबह देर तक सोने देंगे। मैं खूब खाऊंगी लेकिन यह भी सुनिश्चित करूंगी कि मैं वर्कआउट भी करूं।
मनु के कोच और भारत से निकले सबसे बेहतरीन पिस्टल निशानेबाजों में से एक राणा का मानना है कि अगले तीन महीनों में वह जो कुछ भी करती है उससे यह पता चल जाएगा कि वह किस दिशा में जा रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या मनु यहां के प्रदर्शन के बाद भी वैसी ही रहेंगी तो उन्होंने कहा कि समय ही बताएगा, तीन महीने बाद। कोच ने कहा कि अभी वह बहुत से लोगों के प्रति जवाबदेह है, उसे प्रशंसकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने की जरूरत है। जब आप मशहूर हो जाते हैं तो आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ती है इसलिए हमने तीन महीने पूरी तरह से छुट्टी रखी है।
मनु यहां स्वर्ण नहीं जीत सकी और इसलिए उन्होंने लॉस एंजिलिस 2028 पर नजरें टिका दी हैं। बहुत से शीर्ष खिलाड़ी ओलंपिक में बार-बार पदक जीतने वाला प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं लेकिन मनु के दृढ़ संकल्प पर अभी सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने कहा कि अब मैं ऐसी व्यक्ति हूं जो निरंतरता की तलाश करती है। लेकिन पहले मैं ऐसी नहीं थी। प्रतियोगिता खत्म होने के बावजूद मनु को कुछ समय के लिए पेरिस में ही रहना पड़ सकता है, अगर उन्हें समापन समारोह के लिए भारत का ध्वजवाहक घोषित किया जाता है तो। मनु ने कहा कि यह जीवन भर का सम्मान होगा। यह बहुत बड़ा सौभाग्य होगा लेकिन आईओए इसे जो भी समझे, ऐसे कई भारतीय खिलाड़ी हैं जो मेरे से कहीं ज्यादा हकदार हैं।