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स्पोर्ट्स डेस्क: श्रीलंका के पूर्व कप्तान और आलराउंडर खिलाड़ी एंजेलो मैथ्यूज का कहना है कि साल 2011 के विश्व कप फाइनल में श्रीलंका टीम से 20 से 30 रन कम बने थे। जिसके कारण टीम को हार झेलनी पड़ी। बता दें, श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 275 रनों का लक्ष्य भारत को दिया था। जहां टीम इंडिया ने पीछा करते हुए गौतम गंभीर (97) और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (91) की पारियों की बदौलत जीत दर्ज की थी। 

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दरअसल, एक क्रिकेट वेबसाइट से बातचीत के दौरान मैथ्यूज ने कहा, 'वो मेरा पहला 50 ओवर वर्ल्ड कप मैच था, 2009 और 2010 में मैं टी20 वर्ल्ड कप खेल चुका था। 2011 बहुत खास था, क्योंकि हम अपने जैसी कंडीशन में खेल रहे थे। फाइनल तक पहुंचने के लिए हमने शानदार क्रिकेट खेला था। दुर्भाग्य से मैं चोटिल हो गया था और वो मेरे जीवन का सबसे निराशाजनक मौका था। सेमीफाइनल जीतने के बाद मुझे फाइनल मैच में खेलने का बेसब्री से इंतजार था।' एंजेलो ने आगे कहा, 'चोटिल होने के बाद मैं ढंग से दो सप्ताह तक चल भी नहीं पा रहा था और डॉक्टरों ने मना कर दिया था कि मैं नहीं खेल सकता हूं। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि बावजूद इसके मुझे टीम के साथ रखा गया।

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फाइनल मैच को याद करते हुए मैथ्यूज ने कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि अगर हमने 320 रन बना लिए होते तो हम भारत के मजबूत बैटिंग लाइन-अप को कड़ी चुनौती दे सकते थे। भारतीय विकेट एकदम फ्लैट हैं, अगर बल्लेबाज लय में है तो उसे रोक पाना बहुत मुश्किल होता है। भारत का बैटिंग लाइनअप बहुत मजबूत था। वानखेड़े बहुत बड़ा स्टेडियम नहीं है और पिच भी काफी अच्छी थी।' गौर हो कि 2 अप्रैल, 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले को भारतीय टीम ने छह विकेट से जीता था। श्रीलंका को लगातार दूसरी बार फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।