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नई दिल्ली : पूर्व भारतीय बल्लेबाज संजय मांजरेकर का मानना है कि इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में सलामी बल्लेबाज केएल राहुल की फॉर्म मेहमान टीम के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। राहुल ने अब तक इस दौरे पर छह पारियों में 375 रन बनाए हैं, जिसमें दो शतक और एक अर्धशतक शामिल है। 

मांजरेकर ने जियोहॉटस्टार पर कहा, 'एक विश्लेषक और एक पूर्व क्रिकेटर के तौर पर मुझे सबसे बड़ी संतुष्टि केएल राहुल को देखकर मिली है। उनका खेल हमेशा से ही शानदार रहा है। हां, उनकी तकनीक में कुछ खामियां थीं, लेकिन उन्होंने उन पर काम किया और उन्हें सुलझाया। बस एक कमी निरंतरता की थी। हमारे एक शो में, हमने मजाक में उन्हें 'मिस्टर कंसिस्टेंट केएल राहुल' की उपाधि भी दी थी लेकिन उन्हें यह तमगा हासिल करने में काफी समय लगा।' 

पूर्व क्रिकेटर ने कहा, 'उन्होंने अब तक भारत के लिए 50 से ज़्यादा टेस्ट मैच खेले हैं और अब मैं जो देख रहा हूं वह लगभग पूर्णता के करीब है, उनमें कोई भी कमजोरी नजर नहीं आती। किसी विदेशी सीरीज में पहली बार उन्होंने 200 से ज़्यादा रन बनाए हैं। मेरे लिए यह भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। 

सोमवार को लॉर्ड्स में भारत की 22 रनों से मामूली हार के बाद मांजरेकर ने रवींद्र जडेजा और जसप्रीत बुमराह के बीच नौवें विकेट की साझेदारी पर भी बात की। उन्होंने कहा, 'रवींद्र जडेजा अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे और मज़बूती से डिफेंस कर रहे थे, लेकिन ऐसा कभी नहीं लगा कि वह भारत को जीत दिलाने के लिए जरूरी जोखिम उठा रहे हैं। वह इंतजार कर रहे थे और उम्मीद के खिलाफ उम्मीद कर रहे थे। हालांकि उस साझेदारी के असली स्टार जसप्रीत बुमराह थे। वह एक घंटे 40 मिनट तक बेहतरीन तेज गेंदबाजी, बाउंसरों का सामना करते हुए मैदान पर डटे रहे, और यह देखना उल्लेखनीय था कि बल्ले से उनके नेट सत्र का आखिरकार क्या असर हुआ। उनकी गेंदबाजी में जो मानसिक दृढ़ता हम देखते हैं, वह उनकी बल्लेबाजी में भी दिखाई दी और यह वाकई खास था।' 

उन्होंने कहा, 'यह देखकर खुशी होती है कि इन दिनों जडेजा अपने डिफेंस पर कितना भरोसा करते हैं। वह अब लंबी पारी खेलते हैं, धैर्य रखते हैं और समय का पूरा ध्यान रखते हैं। पहली पारी में उन्होंने जो 70 रन बनाए, वे कोई तेज तर्रार 70 रन नहीं थे, उन्होंने चार घंटे तक बल्लेबाजी की। और इस पिच पर 50 रन बनाना ऐसा लगा जैसे 50 घंटे बल्लेबाजी की हो। लेकिन अगर आप उस पल को देखें जब जडेजा ने अपना अर्धशतक पूरा किया, तो लॉर्ड्स की बालकनी से जो नजारे दिख रहे थे, वे ज़्यादा सकारात्मक नहीं लग रहे थे।' 

मांजरेकर ने जडेजा की दमदार पारी के बारे में कहा, 'ड्रेसिंग रूम की ऊर्जा ने सब कुछ बयां कर दिया, ऐसा लगा जैसे टीम जानती थी कि जीतना बहुत मुश्किल होगा। जडेजा कोशिश कर रहे थे, इसमें कोई शक नहीं, लेकिन पिच, हालात और भारत के रन रेट को देखते हुए, लक्ष्य का पीछा करना मुश्किल लग रहा था।' 

बुमराह की दोनों पारियों में अनुकूलनशीलता और प्रभाव पर विचार करते हुए मांजरेकर ने इस तेज गेंदबाज की महानता की प्रशंसा की जो उनकी विरासत बन गई है। पूर्व बल्लेबाज ने कहा, 'पहली पारी में, बुमराह ने दिखाया कि वह कितने बेहतरीन गेंदबाज हैं। यह ऐसी पिच थी जहां वह अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने धैर्यपूर्वक गेंदबाजी की और मौकों का इंतजार किया। और जब मौका आया - पारी के उत्तरार्ध में - तो वह तैयार थे। उन्होंने पहली पारी में एक ऐसी सतह पर 5 विकेट लिए जहां ज़्यादा मदद नहीं मिल रही थी। फिर जब वाशिंगटन सुंदर ने चार अहम विकेट लिए और भारत को इंग्लैंड को जल्दी समेटना था, बुमराह ने फिर से आगे आकर अच्छा प्रदर्शन किया। ब्रायडन कार्से को आउट करने वाली वो यॉर्कर आज भी जहन में ताजा है। अलग-अलग तरीकों से अपनी महानता दिखाना - यही बुमराह की विरासत बन गई है।'