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नई दिल्ली : पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीत कर इतिहास रचने वाली निशानेबाज मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने राष्ट्रीय महासंघ की लगातार बदलती ओलंपिक चयन नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे अतीत में कुछ सबसे होनहार प्रतिभाओं को नुकसान हुआ है और अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो आगे भी ऐसा होता रहेगा। 

एशियाई खेल 2006 में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाले राणा ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की अपनी नीतियों में अंतिम समय में बदलाव करने की प्रवृत्ति की आलोचना की। राणा ने संपादकों से बात करते हुए अपनी राय साझा की। इस दौरान उनके साथ मनु भी मौजूद थीं जिन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा (सरबजोत सिंह के साथ मिलकर) में कांस्य पदक जीते थे। 

राणा ने कहा, ‘(महासंघ की) चयन नीति हर छह महीने में बदलती है। मैंने खेल मंत्री से मुलाकात करके इस पर उनसे बात की। उन्हें निर्णय लेने दें... वे जो भी निर्णय लेते हैं, सही या गलत, हम उस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं, और फिर उस पर कायम रहो। आप इसके बाद निशानेबाजों के प्रदर्शन में अंतर देखेंगे।' 

तोक्यो ओलंपिक खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी सौरभ चौधरी और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पिस्टल निशानेबाज जीतू राय जैसे कई प्रतिभाशाली निशानेबाज कुछ ही वर्षों में फीके पड़ गए, जबकि वे सबसे प्रतिभाशाली निशानेबाजों में से एक थे। राणा ने कहा, ‘सौरभ चौधरी कहां हैं, जीतू राय कहां हैं? क्या कोई उनके बारे में बात करता है? नहीं। क्या हम (10 मीटर एयर राइफल निशानेबाज) अर्जुन बाबुता के बारे में बात कर रहे हैं, जो पेरिस में चौथे स्थान पर रहे थे। वह मामूली अंतर से पदक से चूक गए थे। क्या कोई उनकी सुध ले रहा है।' 

एनआरएआई ने रियो ओलंपिक के बाद तोक्यो ओलंपिक में भी पदक नहीं जीतने के बाद 2021 में अपने चयन मानदंडों में संशोधन किया। उसने कोटा हासिल करने वाले निशानेबाजों को मिलने वाले बोनस अंकों में भारी कटौती की और लंबे अंतराल के बाद टीम के चयन के लिए ट्रायल्स की शुरुआत की। राणा ने कहा कि वह बदलाव के खिलाफ नहीं हैं लेकिन ओलंपिक चक्र के दौरान अधिक निरंतरता बनाए रखना जरूरी है। 

उन्होंने कहा, ‘अभी हमारे पास ओलंपिक और विश्व कप के पदक विजेताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। हम ओलंपिक पदक विजेताओं को लंबे समय तक नहीं देखते क्योंकि हमारे पास उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई प्रणाली नहीं है।' पेरिस ओलंपिक के दौरान राणा को दर्शक दीर्घा से मनु को अपनी बात समझानी पड़ी क्योंकि उनके पास रेंज पर जाने के लिए जरूरी मान्यता कार्ड नहीं था। उन्हें खेल गांव से भी दूर रखा गया था लेकिन द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता ने कहा कि इससे मनु को सफल देखने के उनके उत्साह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की पाबंदियों ने हमें अधिक मजबूत बनाया और इसका हम पर जरा सा भी असर नहीं पड़ा। हम इसके लिए तैयार थे। मेरे और मनु के बीच (समन्वय) ऐसा है कि हम बात करने की ज़रूरत नहीं है और मुझे लगता है कि हर कोच को यह सीखना होगा।' राणा से जब व्यक्तिगत बनाम राष्ट्रीय कोच को लेकर चल रही बहस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘एक म्यान में दो तलवारे नहीं हो सकती हैं। मेरा मानना है कि एक व्यक्ति को ही नेतृत्व करना चाहिए।' 

मनु ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) अध्यक्ष पीटी उषा को यह सुनिश्चित करने के लिए धन्यवाद दिया कि राणा उनकी सहायता के लिए पेरिस की यात्रा करें। मनु ने कहा, ‘हमने पीटी उषा मैडम से अनुरोध किया और उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि आप अपना काम करें और इसके बारे में चिंता न करें। मुझे उनसे दोबारा पूछने की जरूरत नहीं पड़ी।'