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ढाका : जापान को राउंड रॉबिन लीग में छह गोल से हराने के बावजूद उसके खिलाफ एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी हॉकी के सेमीफाइनल से पहले भारतीय टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड ने अपने खिलाड़ियों को आत्ममुग्धता से बचने की ताकीद की है। रीड ने कहा कि हमने जापान को कल 6-0 से हराया लेकिन आखिरी क्वार्टर में उन्हें दिए मौके बचाए नहीं होते तो यह अंतर 4-2 या 3-2 भी हो सकता था। जापान एशियाई चैम्पियन रह चुका है और हम उसे कतई हलके में नहीं ले सकते। हमें उसे कोई मौका नहीं देना होगा।

यह पूछने पर कि आत्ममुग्धता से बचने के लिए खिलाड़ियों से क्या कहेंगे? कोच ने कहा कि बाहर से स्कोर देखने पर लगता है कि आत्ममुग्ध होने की वजह है लेकिन खिलाड़ियों को पता है कि आखिरी क्वार्टर में उन्होंने कितनी गलतियां की है। उन्हें यह भी पता है कि इन गलतियों को दोहराने से बचना है। तोक्यो ओलंपिक में भारत को ऐतिहासिक कांस्य पदक दिलाने वाले कोच ने कहा कि उनकी टीम को जापान की हर चाल का माकूल जवाब तैयार रखना होगा। 

उन्होंने टूर्नामेंट में अब तक युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि ओलंपिक के बाद यह पहला टूर्नामेंट है और हमारा लक्ष्य युवाओं को भी मौका देने का था ताकि उन्हें इस स्तर पर खेलने का अनुभव मिल सके। अभी तक उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है लेकिन एक कोच होने के नाते मैं प्रदर्शन में लगातार सुधार की संभावनाएं तलाशता हूं। भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा कि सेमीफाइनल और फाइनल मैच में टीमें काफी ऊर्जा के साथ उतरती है और जापान भी कड़ी चुनौती देगा।

उन्होंने कहा कि तोक्यो ओलंपिक के बाद इस टूर्नामेंट में पहला मैच कोरिया से था जो ड्रॉ रहा लेकिन उसके बाद से हमने अच्छी जीत दर्ज की है। अब सेमीफाइनल और फाइनल में ऊर्जा का स्तर ही अलग होता है तो जापान भी बेहतर प्रदर्शन करेगा। हमें तैयारी में कोई कसर नहीं रखनी है। यह टूर्नामेंट युवाओं के लिए सीखने का अच्छा मंच रहा और अपने प्रदर्शन से वे अपनी उपयोगिता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि अगला साल काफी व्यस्त है जिसमें हमें काफी महत्वपूर्ण टूर्नामेंट खेलने हैं।

कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन के प्रसार और लगातार बायो बबल में रहने को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कोच रीड ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय टीम की कोचिंग के लिए यह काफी कठिन समय है। किसी भी अंतरराष्ट्रीय कोच के लिए यह कठिन समय है क्योंकि कड़े प्रोटोकॉल के बीच प्रदर्शन पर भी फोकस रखना है। बायो बबल अलग अलग तरह के होते हैं मसलन तोक्यो में काफी कड़ा बायो बबल था लेकिन अब इसकी आदत सी हो गई है।

कप्तान मनप्रीत ने कहा कि लगभग दो साल से हम बायो बबल में ही रह रहे हैं। साथ रहने से टीम का आपसी तालमेल भी बेहतर हुआ है जो प्रदर्शन में नजर आ रहा है। अब हम इसका दबाव नहीं लेते और एक दूसरे के साथ के साथ सकारात्मक सोच बनाये रखते हैं।