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स्पोर्ट्स डेस्क : महिला फुटबॉल विश्व कप में भारतीय टीम भले की क्वालीफाई नहीं कर पाए हो लेकिन बीते सालों में टीम का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इसमें कुछ खिलाड़ियों का खास योगदान रहा है जिन्होंने भारतीय महिला फुटबॉल टीम की तस्वीर बदलने में मदद की है। इसमें आशालता देवी, बाला देवी और अदिति चौहान मुख्य हैं। 

आशालता देवी ने फुटबॉल के लिए अपने परिवार से मिली यातनाओं का सामना किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें फुटबॉल खेलने पर परिवार सजा भी देता था जिस कारण उन्हें फुटबॉल से कुछ समय के लिए दूरी भी बनानी पड़ी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज आशालता एशिया की बेस्ट डिफेंडरों में शामिल हैं। 

विदेशी लीग्स से जुड़ा नाता

अदिति चौहान इंग्लिश लीग में खेलने वाली पहली भारतीय फुटबॉलर हैं।
बाला देवी यूरोपियन प्रोफेशनल फुटबॉल लीग में खेलने वाली पहली भारतीय फुटबॉलर हैं।
मनीषा क्लयाण यूएफा वीमेन्स चैंपियन लीग में खेलने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। 

ऐसे होता है नेशनल टीम में चयन 

शुरूआत स्कूली स्तर से होती है। सीबीएसई टूर्नामेंट, एसजीएफआई (स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) और रिलायंस टूर्नामेंट में भाग लिया जा सकता है। जूनियर नेशनल्स भी एक रास्ता है। 
स्टेट टीम के ट्रॉयल में सिलेक्शन के बाद नेशनल लेवल तक पहुंचा जाता है। स्टेट लेवल पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी अंडर-15, 16 और 19 नेशनल टीम में जगह बनाते हैं। 
इंडियन वीमेन्स लीग में आने के दो रास्ते हैं। पहला स्टेट लीग का चैम्पियन बनकर और दूसरा आईडब्ल्यूएल क्लब के ट्रायल देकर। सीनियर टीम आईडब्ल्यूएल से ही बनाई जाती है। ऐसे में आईडब्ल्यूएल में खेलना जरूरी है।