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मुंबई : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद पुराने कर के मामले को लेकर फिर आमने सामने आ गए हैं और वैश्विक संस्था ने बोर्ड के सालाना राजस्व को काटने की धमकी दे डाली है। बीसीसीआई ने आईसीसी के राजस्व में कटौती करने की धमकी के बाद अब ब्रिटिश कानून मामलों की एक फर्म से संपर्क किया है। भारत में हुई आईसीसी की चैंपियनशिप में कर में छूट को लेकर यह मामला पिछले काफी समय से लंबित है। दिलचस्प है कि आईसीसी का नेतृत्व फिलहाल बीसीसीआई के ही पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर के हाथों में है।

आईसीसी की मांग है कि भारत में आयोजित हुए 2016 ट्वंटी 20 विश्वकप में उसे कर छूट मिलनी चाहिए थी जो नहीं मिली और इसकी जिम्मेदारी आयोजक बोर्ड बीसीसीआई की बनती है। वैश्विक संस्था ने धमकी दी है कि उसे इस टूर्नामेंट को कराने में जो वित्तीय नुकसान हुआ है वह उसकी भरपाई भारतीय बोर्ड के सालाना जारी होने वाले राजस्व में से करेगा। बीसीसीआई की कानूनी मामलों की टीम ने इसकी जानकारी बोर्ड का संचालन कर रही प्रशासकों की समिति (सीओए) को दे दी है। उसने भरोसा दिलाया है कि बोर्ड आईसीसी से उसके राजस्व कटौती नहीं करने को लेकर उचित कदम उठा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 के विश्वकप से पूर्व भारत में आयोजित सभी टूर्नामेंटों में आईसीसी को कर छूट प्राप्त हुई थी।

भारतीय बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर बैठक के मिनट अपलोड किए हैं जिसके अनुसार आईसीसी ने इस नुकसान की भरपाई बीसीसीआई के सालाना राजस्व से करने की धमकी दी है। बोर्ड के अनुसार, ‘वर्ष 2016 की चैंपियनशिप के अनुसार कर प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि आईसीसी के प्रसारणकर्ता स्टार स्पोट्र्स से 10 फीसदी राशि मीडिया अधिकार करार के तहत काटे जा रहे हैं।' बीसीसीआई ने लिखा, ‘सीओए को हमने जानकारी दे दी है कि आईसीसी इस राशि को आईसीसी द्वारा सालाना बीसीसीआई को दिए जाने वाले राजस्व में से काटने का प्रयास कर रहा है ताकि इस नुकसान की भरपाई हो सके।

इस बाबत सीओए ने बीसीसीआई की कानूनी मामलों की टीम को इंग्लिश फर्म से विचार विमर्श करने की सलाह दी है। 2016 के टी-20 विश्वकप की मेज़बानी का संचालन इंग्लिश फर्म ने किया था।' वैश्विक संस्था से बीसीसीआई को सालाना करीब 40.5 करोड़ डॉलर का राजस्व मिलता है जिसमें 10 फीसदी के हिसाब से करीब चार करोड़ डॉलर की राशि काटी जा सकती है।