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नई दिल्ली : गांव में चारे के मैट पर अभ्यास से पेरिस ओलंपिक तक का सफर तय करने वाले हाई जंपर सर्वेश कुशारे को अपनी तैयारियों और भारतीय एथलेटिक्स के ‘गोल्डन ब्वॉय' नीरज चोपड़ा से मिले इस मूलमंत्र पर यकीन है कि प्रतिद्वंद्वियों की ख्याति से डरे बिना बस अपनी ट्रेनिंग पर फोकस रखो। कुशारे ओलंपिक ऊंची कूद के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं। 

अभ्यास के दौरान 2.30 मीटर का आंकड़ा पार कर रहे कुशारे को अपनी कड़ी मेहनत और तोक्यो ओलंपिक में भालाफेंक में स्वर्ण पदक जीतकर एथलेटिक्स में भारत का खाता खोलने वाले नीरज की सलाह पर पूरा यकीन है। ओलंपिक में ऊंचे कद और भारी डील डौल वाले प्रतिद्वंद्वियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार पांच फुट नौ इंच के कुशारे ने इंटरव्यू में कहा, ‘मेरा बस कद ही छोटा है लेकिन हम भी भीतर से बहुत मजबूत हैं। प्रतिद्वंद्वी की कद काठी देखकर कोई डर नहीं लगता। सही समय पर शीर्ष फॉर्म में रहना महत्वपूर्ण है।' 

महाराष्ट्र के नाशिक से कुछ किलोमीटर दूर देवरगांव के रहने वाले 29 वर्ष के इस एथलीट ने कहा, ‘अभी तो काफी समय से नीरज भाई से मुलाकात नहीं हुई है लेकिन जब पिछली बार मिले थे तो उन्होंने कहा था कि ट्रेनिंग पर फोकस करो और विरोधी खिलाड़ियों की ख्याति से डरना नहीं है। वह हमेशा टिप्स देते रहते हैं।' उन्होंने कहा, ‘हमारे आदर्श नीरज चोपड़ा ही हैं जिन्होंने एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक पदक जीतकर हमारे भीतर भी आत्मविश्वास भरा। हम भी उनकी तरह बनना चाहते हैं और देश का मान बढाना चाहते हैं।' 

पंचकूला में जून में अंतर प्रांत राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 2.25 मीटर की रिकॉर्ड कूद के साथ स्वर्ण जीतने वाले कुशारे ने क्वालीफिकेशन प्रक्रिया में 23वां स्थान हासिल करके पेरिस का टिकट कटाया। उन्होंने कहा, ‘जून से पहले मेरी रैंकिंग 36 चली गई थी क्योंकि मई में जब पूरी दुनिया में स्पर्धायें चल रही थी, मैं नहीं खेल सका था। मुझे डर लग रहा था कि ओलंपिक खेल सकूंगा कि नहीं। मैं काफी दबाव में आ गया था लेकिन फिर मलेशिया, कजाखस्तान और पंचकूला में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके क्वालीफाई किया।' 

उन्होंने कहा, ‘टखने की चोट के कारण बहुत दिक्कतें आई थी लेकिन अब लगातार अच्छा अभ्यास करके मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। अभी फोकस क्वालीफिकेशन दौर पर है जो सात अगस्त को सुबह दस बजे होगा। पहला लक्ष्य फाइनल में जगह बनाने का है। उसके बाद की प्लानिंग बाद में करूंगा।' वारसॉ में अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच तैयारी कर रहे कुशारे ने जब खेलना शुरू किया तो गाय के चारे को मैट के रूप में इस्तेमाल करते थे। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘हमारे गांव में ऊंची कूद का मैट नहीं था तो गाय के लिए जो मक्के का चारा इकट्ठा होता था, उसका मैट बनाया जाता था। उसका एक ही पीस लैंडिंग एरिया की तरह बनाया था और हम उस पर अभ्यास करते थे।' 

उन्होंने बताया, ‘स्कूल के पीटी टीचर आर डब्ल्यू जाधव सर के मार्गदर्शन में खेलना शुरू किया। फिर सैन्य खेल संस्थान में गया और ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (ओजीक्यू) से भी सहयोग मिला जिन्होंने अमेरिका में अभ्यास के लिये भेजा।' कुशारे ने कहा, ‘वारसॉ में बहुत अच्छी सुविधाएं हैं और सुबह शाम क्यूबाई कोच के साथ अभ्यास होता है। मैं ऊंची कूद में अकेला हूं लेकिन भारतीय एथलेटिक्स रिले टीम, शॉटपुट टीम, भालाफेंक खिलाड़ी किशोर जेना और अन्नु रानी सभी यहीं हैं। हम आपस में यही बात करते हैं कि ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।' 

वहां दिनचर्या के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘अभ्यास में जिम, स्पीड वर्क, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग सभी होता है। यहां रिकवरी सत्र बहुत अच्छे रहते हैं। खाली समय में बस रेस्ट करते हैं क्योंकि शरीर को आराम देना बहुत जरूरी है।' उन्होंने कहा, ‘मानसिक तैयारी के लिए खेल मनोवैज्ञानिक से नियमित बात करता हूं। वे बताते हैं कि दबाव से कैसे निपटना है और खुद को मानसिक रूप से तरोताजा कैसे रखना है। योग और ध्यान रोज सुबह करता हूं।' 

कुशारे को भारतीय एथलेटिक्स दल से पेरिस में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘इस बार एथलेटिक्स में टीम बहुत अच्छी है। रिले टीम हो, तेजिंदर तूर (शॉटपुट) हो, नीरज भाई सभी पदक के दावेदारों में है और इस बार हमारा प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहेगा।' आठ जुलाई से वारसॉ में अभ्यास कर रहे कुशारे 29 जुलाई को पेरिस रवाना होंगे। नौ महीने पहले पिता बना यह खिलाड़ी ओलंपिक के बाद ही अपनी नवजात बेटी को देख सकेगा। उन्होंने कहा, ‘मेरी नौ महीने की बच्ची है लेकिन मैं नवंबर के बाद से उससे मिला नहीं हूं। शुरूआत में बस पांच दिन उसके साथ रहा हूं और अब ओलंपिक के बाद ही मिलूंगा।'