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जालन्धर (जसमीत) : भारतीय एथलीट इस समय पूरी दुनिया में अपनी सफलता के झंडे गाढ़ रहे हैं लेकिन अभी भी उन्हें उतना एक्सपोजर नहीं मिल रहा जितना क्रिकेटरों को मिलता है। 2018 में भारतीय बाजार ने खिलाडिय़ों पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए थे। बढ़ी बात यह रही कि इसमें करीब 80 फीसदी पैसा सिर्फ क्रिकेटर के पास गया। बीते दिनों जब भारतीय रनर हिमा दास ने 19 दिनों में 5 गोल्ड जीतकर सुर्खियां बटोरीं तो उनकी साथी खिलाड़ी दुती चंद का इस दौरान दर्द बाहर निकल आया। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में गोल्ड जीतने वाली दुती ने साफ कहा- हम भी रोज 8-8 घंटे मेहनत करते हैं लेकिन क्रिकेट जैसा प्यार हमें नहीं मिलता। साफ है- क्रिकेट के शोर में भारत की इन दो बेटियों के अलावा हर उस खिलाड़ी की आवाज दब रही है जो क्रिकेट से तालुक नहीं रखता।

एथलैटिक्स लोकप्रिय न होने के कारण

Dutee chand and Hima Das
क्रिकेट के हाथ में है बाजार : भारत में स्पोटर््स इंडस्ट्री 5 साल में करीब 77 प्रतिशत बढ़ी है। स्पोट्र्स इंडस्ट्री इस वक्त करीब 7800 करोड़ की बताई जाती है। इस ग्रोथ के सबसे बड़े हिस्से पर क्रिकेट का कब्जा है। ऐसे में दूसरे खेलों के पास कुछ नहीं बचता।
बैडमिंटन में मिलते हैं 80 लाख : भारत में क्रिकेट के अलावा जिस खेल में सबसे ज्यादा पैसे मिलते हैं वह है बैडमिंटन। प्रीमियर बैडमिंटन लीग में पी.वी. सिंधू और किदांबी श्रीकांत जैसे स्टार खिलाडिय़ों को सिर्फ 80-80 लाख रुपए मिलते हैं जबकि आई.पी.एल. में क्रिकेटरों की बोली करोड़ों में लगती है।
कोहली और धोनी भी खतरा : 2018 में बाजार ने 482 करोड़ रुपए एंडोर्समैंट के लिए खिलाडिय़ों को दिए। इनमें से 81 प्रतिशत पैसे क्रिकेटरों के पास गए। बढ़ी बात यह थी कि 2018 में इस बढ़ी राशि का 66 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ दो खिलाडिय़ों विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी के पास चला गया था।

दुती चंद को इस साल नहीं मिलेगा अर्जुन अवॉर्ड
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में शानदार प्रदर्शन करती आ रही महिला रनर दुती चंद को इस साल अर्जुन अवॉर्ड नहीं मिलेगा। खेल मंत्रालय ने इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड  के लिए दरअसल दुती चंद का नाम ही प्रस्तावित नहीं किया था। खेल मंत्रालय का फैसला तब सामने आ रहा है जब दुती ने बीते दिनों क्रिकेट की तरह सम्मान न मिलने पर अफसोस जताया था। 

Dutee chand and Hima Das

दुती ने कहा था कि सिर्फ 11 सैकेंड दौडऩे के लिए हम हर रोज 8-8 घंटे पसीना बहाते हैं। कड़ी मेहनत करते हैं। हमें भी क्रिकेटरों की तरह प्यार मिलना चाहिए। क्रिकेट में सिर्फ 8-10 लोग ही वल्र्ड कप में उतरते हैं जबकि एथलैटिक्स चैम्पियनशिप में 200 देशों के प्रतियोगी भिड़ते हैं। दुती चन्द्र को अवॉर्ड न मिलने के पीछे कारण यह बताया गया है कि महासंघ केवल 3 लोगों के नाम ही भेज सकता है। जिनमें दुती और मनजीत के अलावा शॉटपुटर तेजिंदर पाल सिंह तूर, हेप्टैथलॉन एथलीट स्वप्ना बर्मन और ट्रिपल जंपर अरपिंदर सिंह के नाम ही भेजे हैं।

हरभजन को नहीं मिलेगा खेल रत्न : खेल मंत्रालय द्वारा हरभजन सिंह के लिए खेल रत्न का आवेदन भी खारिज कर दिया गया है।

19 दिन में भारत को 5 गोल्ड दिला चुकी हिमा भारतीय फैंस की बेरुखी से हैरान

Dutee chand and Hima Das
वल्र्ड यूनिवॢसटी गेम्स में गोल्ड जीतकर पहली बार चर्चा में आई हिमा दास पिछले 19 दिनों में 5 गोल्ड जीत चुकी हैं। लेकिन उनकी उपलब्धियों पर ताली बजाने के लिए सोशल मीडिया पर इक्का-दुक्का नाम ही सामने आए हैं। हिमा के अलावा दुत्ती चंद भी क्रिकेट जैसी इज्जत न मिलने से नाराज चल रही हैं।
हिमा के जीते गए पांच गोल्ड
2 जुलाई : पोजनान एथलेटिक ग्रैंड प्रिक्स पोलैंड
7 जुलाई : कुंटो एथलेटिक्स मीट 
13 जुलाई : कल्दनो एथलेटिक्स मीट
17 जुलाई : ताबोर एथलेटिक्स मीट
20 जुलाई : नोवे मैस्टो, चैक रिपब्लिक

लड़कों के साथ खेलती थी फुटबॉल : हिमा बचपन में लड़कों के साथ अपने पिता के खेत में नंगे पांव फुटबॉल खेल करती थीं। जवाहर नवोदय विद्यालय के पीटी टीचर ने उन्हें दौड़ाक बनने की सलाह दी। स्कूल स्तरीय खेलों में जब साधारण जूतों के बावजूद वह रेस जीती तो उनपर स्थानीय कोच निपुन दास की नजर पड़ गई। निपुन ने उन्हें ट्रेङ्क्षनग दिलवाई तो हिमा जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीत गई। इसके बाद निपुन ने हिमा को लेकर गुवाहाटी चले गए।
Dutee chand and Hima Das

5 भाई-बहन हैं हिमा के : हिमा के पिता रंजीत दास असम के नौगांव जिले के ढींग गांव में रहते हैं। इस इलाके में हिमा के पिता अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपनी दो बीघा जमीन पर खेती करते हैं।
यूनिसेफ की हैं ब्रॉन्ड एबेसडर : हिमा दास ऐसी पहली भारतीय एथलीट है जो नवंबर 2018 में यूनिसेफ इंडिया की यूथ एंबेसडर बनी थी। हिमा गर्वनमैंट ऑफ असम की ब्रॉन्ड एंबेसडर भी है।