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मास्कोः इंग्लैंड के खिलाफ विजयी गोल करके क्रोएशियाई फुटबाॅलप्रेमियों के नूरे नजर बने मारियो मंडज़ुकिक ने फुटबाॅल का ककहरा अपने देश में नहीं बल्कि जर्मनी में सीखा था क्योंकि क्रोएशिया की आजादी के लड़ाई के दौरान उनके माता पिता को वहां भेज दिया गया था।  
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क्रोएशिया में 1991 से 1995 के बीच आजादी की लड़ाई के दौरान मंडज़ुकिक के माता पिता को जर्मनी भेज दिया गया था। उसने 1992 में स्टटगार्ट के समीप जर्मन क्लब टीएसएफ डिजिंजेन के लिये खेलना शुरू किया।

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क्रोएशिया के 1995 में आजाद होने के बाद वे स्वदेश लौटे और उसने 1996 से 2003 के बीच एनके मारसोनिया क्लब के लिये खेला। वह 2005 में एनके जगरेब टीम में शामिल हुआ और चेलसी तथा मैनचेस्टर युनाइटेड जैसे बड़े क्लबों की नजर में आया। जर्मन क्लब बायर्न म्युनिख के लिये खेल चुका यह फारवर्ड एटलेटिको मैड्रिड का हिस्सा रहा और फिलहाल जुवेंटस के लिये खेलता है।     

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अपनी आक्रामकता और मानसिक द्दढता के लिए कोचों का चहेता रहा मंडज़ुकिक दबाव के क्षणों में गोल करने में माहिर हैं। डेनमार्क के खिलाफ अंतिम 16 के मैच में भी उन्होंने बराबरी का गोल दागा था जिसके बाद मैच अतिरिक्त समय तक खिंचा और बाद में पेनल्टी शूटआउट में क्रोएशिया ने जीत दर्ज की। 

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मेजबान रूस के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में भी आंद्रेज क्रामारिच के बराबरी के गोल के सूत्रधार वही थे। इंग्लैंड के खिलाफ 109वें मिनट में गोल करके उन्होंने क्रोएशिया को पहली बार फाइनल में पहुंचाया।