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अल ऐन (यूएई) : मुक्केबाजी का ओलंपिक में भविष्य पहले ही अधर में लटका है और अब इस खेल की एशियाई संचालन संस्था ने निलंबित अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) के पक्ष में मतदान करके उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुप्त मतदान के जरिए किए गए मतदान में 21 देशों ने आईबीए के साथ बने रहने के पक्ष में जबकि 14 देशों ने इस खेल के संचालन के लिए गठित की गई नई संस्था वर्ल्ड बॉक्सिंग में शामिल होने के पक्ष में मतदान किया। 

भारत के अलावा जिन अन्य देशों ने मतदान में भाग लिया उनमें बहरीन, भूटान, ब्रुनेई, कंबोडिया, चीन, चीनी ताइपे, तिमोर लेस्ते, हांगकांग, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जापान, जॉर्डन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, लेबनान, मकाऊ, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, फिलीपींस, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, श्रीलंका, सीरिया, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, तुर्कमेनिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, वियतनाम और यमन शामिल थे। 

भारत ने पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया। आईबीए का अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के साथ विवाद चल रहा है। आईओसी ने तोक्यो और पेरिस खेलों के लिए ओलंपिक क्वालीफिकेशन प्रक्रिया की जिम्मेदारी संभाली थी। एशियाई मुक्केबाजी परिसंघ (एएसबीसी) का वर्ल्ड बॉक्सिंग में शामिल होने से इनकार करने के इस फैसले के बाद लॉस एंजिल्स में 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में मुक्केबाजी को शामिल करने को लेकर परेशानियां बढ़ गई हैं। 

मतदान के बाद आईबीए ने वर्ल्ड बॉक्सिंग पर निशाना साधते हुए कहा कि नई संस्था के पास प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित करने के लिए साधन की कमी है। आईबीए ने एक बयान में कहा, ‘वर्ल्ड बॉक्सिंग के पास प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए किसी तरह का वित्त, विशेषज्ञता और समर्थन नहीं है। उनका मुक्केबाजी को आगे बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।' 

एशियाई संस्था के समर्थन का स्वागत करते हुए आईबीए ने कहा कि इससे पिछले कुछ वर्षों में उसके अच्छे कामकाज की पुष्टि होती है। बयान में कहा गया, ‘यह निर्णय (एएसबीसी द्वारा) दुनिया भर में मुक्केबाजी के विकास के लिए की गई आईबीए की वर्षों की कड़ी मेहनत और आईबीए मुक्केबाजी परिवार की सच्ची एकता को दर्शाता है।' 

आईबीए ने उन राष्ट्रीय महासंघों पर भी निशाना साधा जिन्होंने गुप्त मतदान के दौरान उसके खिलाफ मतदान किया था। उसने बयान में कहा, ‘ऐसे संगठन में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है जिसका मुक्केबाजी को आगे बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है बल्कि केवल अपने नेतृत्व की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना है।' जहां तक भारत का सवाल है तो भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) मई में वर्ल्ड बॉक्सिंग में शामिल होने पर सहमत हो गया था।