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बुडापेस्ट हंगरी ( निकलेश जैन ) भारतीय शतरंज टीम नें कल सम्पन्न हुए शतरंज ओलंपियाड  में  इतिहास बना दिया और दुनिया को भारत की वाह वाह करने पर विवश कर दिया है । भारत की इस उपलब्धि पर विश्व शतरंज संघ नें जानकारी देते हुए बताया है की भारत ने 45वें फीडे शतरंज ओलंपियाड में सभी 3 ट्राफियां अपने नाम कीं है 🏆 हैमिल्टन-रसेल कप, शतरंज ओलंपियाड जीतने के लिए 🏆 वेरा मेंचिक कप, महिला ओलंपियाड जीतने के लिए🏆 गापरिंडाश्विली कप, जो ओपन और महिला वर्गों में सर्वश्रेष्ठ संयुक्त परिणाम के लिए विशेष ट्रॉफी के रूप में प्रदान किया जाता है। 

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शतरंज ओलंपियाड में भारत की धूम, खिलाड़ी टीम प्रदर्शन से दिखे खुश, अर्जुन ने बनाया इतिहास

भारत बन रहा दुनिया का शतरंज ‘पावरहाउस'

 हंगरी के बुडापेस्ट में 45वें शतरंज ओलंपियाड में पुरुष और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीता। विश्व चैमियनशिप के चैलेंजर डी गुकेश, आर प्रज्ञानानंदा, अर्जुन एरिगेसी, विदित गुजराती और पी हरिकृष्णा की मौजूदगी वाली भारतीय पुरुष टीम ने ओपन वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और शीर्ष वरीयता प्राप्त अमेरिका और उज्बेकिस्तान को पीछे छोड़ा। हरिका द्रोणावल्ली, आर वैशाली, दिव्या देशमुख, वंतिका अग्रवाल और तानिया सचदेव ने महिलाओं के वर्ग में कजाखस्तान और अमेरिका की टीमों को पछाड़कर भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत की दोनों टीमों ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता और देश के पहले शतरंज सुपरस्टार आनंद की इसमें भूमिका रही। दोनों टीमों ने चेन्नई में घरेलू सरजमीं पर हुए पिछले ओलंपियाड में कांस्य पदक जीते थे। इतिहास बनाने के बाद भारतीय प्लेयर खासे उत्साहित दिखे।

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हरिका बोली- 20 साल से खेल रही, पहली बार जीता गोल्ड

हरिका ने कहा कि मेरे लिए जाहिर तौर पर यह इन लोगों (टीम के साथी खिलाडियों) से ज्यादा भावुक क्षण है। मैं लगभग 20 साल से खेल रही हूं लेकिन पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का मौका मिला है। मैं इन खिलाड़ियों के लिए काफी खुश और गर्व महसूस कर रही हूं। युवा खिलाड़ियों ने टीम के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन किया। शायद मेरा प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था लेकिन टीम के स्वर्ण पदक से मैं सब कुछ भूलने में सफल रही। मुझे खुशी है कि हम निराशा को पीछे छोड़कर मजबूत वापसी करने में सफल रहे।

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दिव्या ने जीते सबसे ज्यादा मैच, बोलीं- टीम पर गर्व है

दिव्या ने ओलंपियाड में टीम के लिए सबसे ज्यादा मैच जीते। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत काफी अच्छी रही, लेकिन बीच में हमें कुछ सफलता मिली और जिस तरह से मैंने और मेरी टीम ने इसे संभाला उस पर मुझे गर्व है। हमने दृढ़ता के साथ मुकाबला किया और आखिरकार हम स्वर्ण पदक के साथ यहां हैं। मैं अभी भावनाओं से भरी हुई हूं। मैं काफी खुश हूं। मैंने यहां अच्छा प्रदर्शन किया है। अंदर यह करो या मरो जैसे हालात थे, आपको देश के लिए सब कुछ झोंकना होता है। दिव्या ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक भी जीता।

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तानिया सचदेव ने कहा- हम इसके लिए ही बने थे

तानिया ज्यादा मैच नहीं खेली लेकिन उन्होंने 5वें बोर्ड पर अपने प्रदर्शन से टीम को निराश नहीं किया। अपने 5 मुकाबलों से 3.5 अंक हासिल करने वाली तानिया ने कहा कि यह वह क्षण है, मुझे लगता है कि हम इसके लिए ही बने थे। पिछली बार (2022 में टीम मामूली अंतर से चूक कर कांस्य पदक जीती थी) ऐसा नहीं हुआ। पिछली बार कांस्य पदक का जश्न मनाना कठिन था लेकिन मैं अभी बहुत खुश हूं। तानिया सचदेव ने कहा- जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे लगता है कि यही वह क्षण था जिसके लिए हम बने थे।

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गुकेश ने कहा- यह सपने के (सच होने) जैसा था

स्लोवेनिया के व्लादिमीर फेदोसीव के खिलाफ अपनी अंतिम दौर की बाजी जीतने के बाद गुकेश ने कहा कि मैं अभी बहुत खुश हूं। यह सपने के (सच होने) जैसा था। हमने एकाग्र होने, यहां आने, अपना काम करने और फिर जश्न मनाने पर ध्यान केंद्रित किया। मुझे लगा कि अगर हम मैच हार भी गए तो भी टाईब्रेक में जीतेंगे। बेशक हम मैच जीतना चाहते थे। हम जीत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन हां, खुशी है कि मैंने और अर्जुन ने काम पूरा किया। भारतीय पुरुष टीम ने इससे पहले 2014 और 2022 (चेन्नई में) में 2 कांस्य पदक जीते थे।

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लाइव विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर आए अर्जुन

अर्जुन एरिगेसी नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन और अमेरिका के हिकारू नाकामूरा के बाद लाइव विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। वर्तमान में 2797 की रेटिंग के साथ एरिगेसी जादुई 2800 अंक के आंकड़े से सिर्फ तीन अंक पीछे हैं। वह नाकामूरा से 5 अंक पीछे हैं। कार्लसन 2830 अंक के साथ शीर्ष पर हैं। एरिगेसी ने कहा कि रैंकिंग से बहुत फर्क नहीं पड़ता। यह एक अच्छा अहसास है, लेकिन लगभग 10-15 खिलाड़ी हैं जो समान रूप से मजबूत हैं इसलिए मैं तीसरे या चौथे नंबर पर होने के बारे में बहुत अधिक परवाह नहीं करना चाहता।

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भारत दुनिया का शतरंज ‘पावरहाउस'

आर प्रज्ञानानंदा का प्रदर्शन भले ही उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा हो लेकिन उन्होंने 9वीं बाजी तक टीम को जरूरी स्थिरता प्रदान की। अमेरिका के वेस्ली सो के खिलाफ अपनी एकमात्र हार के बाद अंतिम दौर में उन्होंने जीत हासिल की। टीम के कप्तान एन श्रीनाथ जाहिर तौर पर इस प्रदर्शन से खुश दिखे। उन्होंने कहा कि सोमवार को टीम स्वदेश लौटेगी। असली जश्न के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन इससे यह साबित हो गया है कि भारत को अब दुनिया का शतरंज ‘पावरहाउस' कहा जा सकता है।

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गुकेश और प्रज्ञानानंदा की प्रगति से आश्चर्यचकित हूं : आनंद

ओलंपियाड में भारतीय टीम की जीत से विश्वनाथन आनंद खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि आप जानते हैं, अगर मुझे पासा फेंकना पड़े, तो ये अच्छी टीमें हैं (दांव लगाने के लिए)। गुकेश, प्रज्ञानानंदा, एरिगेसी और वैशाली ने वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी में ट्रेनिंग ली है जिसे 54 वर्षीय आनंद ने 4 साल पहले चेन्नई में स्थापित किया था। 18 वर्षीय गुकेश और 19 वर्षीय प्रज्ञानानंदा ने अक्सर कहा है कि वे ‘विशी सर' के बिना उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते जहां वे हैं इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) ने उन्हें ‘भारतीय शतरंज में प्रगति के जनक' के रूप में संबोधित किया। इससे पहले महान ग्रैंडमास्टर गैरी कास्परोव ने आनंद की सराहना करते हुए कहा था कि ‘विशी आनंद के शिष्य धूम मचा रहे हैं'। उन्होंने गुकेश के अप्रैल में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतकर सबसे कम उम्र में विश्व खिताब का चैलेंजर बनने के बाद यह बात कही थी। आनंद इसका श्रेय खिलाड़ियों के माता-पिता और प्रारंभिक प्रशिक्षकों के साथ साझा करना पसंद करते हैं लेकिन उनका कहना है कि शतरंज अकादमी के उनके विचार ने भी अपनी भूमिका निभाई जो तीन दशक से भी अधिक समय पहले सोवियत संघ में देखे गए स्कूलों से प्रेरित था। ओलंपियाड के दौरान फिडे के साथ बातचीत में आनंद ने स्वीकार किया था कि वे गुकेश और प्रज्ञानानंदा जैसे खिलाड़ियों की प्रगति से आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने कहा कि मैंने उन सभी युवाओं को लिया जो 14 वर्ष की आयु से पहले ग्रैंडमास्टर बन गए थे। ईमानदारी से कहूं तो मेरा विचार उन्हें शीर्ष जूनियर से लेकर विश्व विजेता बनने तक समर्थन करना था। आनंद ने कहा, ‘‘मेरे शुरुआती समूह में प्रज्ञानानंदा और गुकेश था, अर्जुन कुछ समय बाद शामिल हुआ। लड़कियों में वैशाली भी थी। क्या मुझे उम्मीद थी कि ये इतनी तेजी से आगे बढ़ेगा? वास्तव में नहीं। क्या मुझे उम्मीद थी कि ऐसा हो सकता है? हां। लेकिन यह अविश्वसनीय है। उन्होंने कहा कि यह संयोग नहीं है, लेकिन साथ ही यह मेरी अपेक्षाओं से भी बढ़कर है।