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स्पोर्ट्स डैस्क : भारतीय क्रिकेट के लिए आज यानी कि 25 जून का दिन बेहद खास है। इसी दिन भारतीय टीम ने साल 1983 में अपना पहला आईसीसी विश्वकप जीता था। लॉर्ड्स के मैदान पर कपिल देव की कप्तानी में भारत ने विंडीज को 43 रनों से हराया था। उस समय काफी चीजों को लेकर खिलाड़ियों को सामना करना पड़ा था। हालांकि, अब क्रिकेट पहले के हिसाब से काफी बदल चुका है।

आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि जब टीम चैंपियन बनी थी तो खिलाड़ियों पर पैसों की बरसात उतनी नहीं हुई थी, जितनी कि अब करोड़ों में होती दिखती है। कपिल के उस समय हर खिलाड़ी के लिए 1 लाख हासिल करना बहुत बड़ी बात होती थी।

मात्र 1500 थी मैच फीस

उस समय भारतीय टीम को एक मैच खेलने के लिए 1500 रूपए फीस के रूप में मिलते थे। यानी कि जब भारत फाइनल जीता था तो खिलाड़ियों को यह मैच खेलने के लिए फीस के रूप में 1500 रूपए मिले थे। इसके अलावा 200 रूपए हर दिन भत्ते के रूप में मिलते थे। फाइनल से पहले खिलाड़ी 2 दिन विश्राम पर थे। ऐसे में तब एक खिलाड़ी को फाइनल मैच खेलने पर 3 दिन के लिए 600 रूपए भत्ते के रूप में व 1500 रूपए फीस मिली थी। कुल मिलाकर एक खिलाड़ी के हिस्से 2100 रूपए आए थे। 

ट्रॉफी जीतने पर मिले थे 9 लाख

टीम इंडिया को वर्ल्ड कप विनर बनने पर उस वक्त टीम को ईनाम के दौर पर करीब 66,200 पाउंड (करीब 9 लाख 93 हजार रुपये) मिले थे। जब टीम इंडिया वापस वतन लौटी थी तो बीसीसीआई के पास खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए भी पैसे नहीं थे। ऐसे में महान गायिका लता मंगेशकर ने कंसर्ट के जरिए 20 लाख रुपए जुटाए थे। तब टीम इंडिया को सदस्यों को एक-एक लाख रुपए इनाम के तौर पर मिले थे।