फिल्म- जटाधारा (Jatadhara)
स्टारकास्ट- सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha), शिल्पा शिरोडकर (Shilpa Shirodkar), सुधीर बाबू (Sudheer Babu) और दिव्या खोसला (Divya Khosla)
डायरेक्टर- अभिषेक जायसवाल (Abhishek Jaiswal) और वेंकट कल्याण (Venkat Kalyan)
रेटिंग- 3.5*
Jatadhara: 7 नवंबर को रिलीज़ हो रही ‘जटाधारा’ एक रहस्य और डर से भरी कहानी है, जो एक ऐसे गांव में घटित होती है जहां जमीन के नीचे गड़े खज़ाने की रखवाली “धन पिशाचनी” नाम की आत्मा करती है। लालच और अंधविश्वास में फंसे गांववाले उसकी पूजा करने लगते हैं जो बदले में मांगती है मानव बलि। फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा ने धन पिशाचनी के रूप में दमदार अभिनय किया है जबकि सुधीर बाबू का घोस्ट हंटर किरदार रोमांच बढ़ाता है। शिल्पा शिरोडकर और दिव्या खोसला कुमार ने भी अपने सशक्त अभिनय से कहानी को गहराई दी है। अभिषेक जैसवाल और वेंकट कल्याण के निर्देशन तथा प्रेरणा अरोड़ा के प्रोडक्शन में बनी ‘जटाधारा’ अपने रहस्यमय माहौल और शानदार सिनेमैटिक अनुभव के लिए जरूर देखी जानी चाहिए।

कहानी
फिल्म ‘जटाधारा’ की कहानी एक ऐसे रहस्यमयी गांव से शुरू होती है जहां पुराने समय में लोग अपने सोने-चांदी को जमीन के नीचे गाड़ दिया करते थे। सालों तक उस धन को न निकाल पाने के कारण उस पर “धन पिशाचनी” का अधिकार हो जाता है, एक ऐसी आत्मा जो उस गड़े हुए खज़ाने की रक्षक बन बैठती है। धीरे-धीरे गांव के लोग उस धन को पाने के लालच में धन पिशाचनी की पूजा करने लगते हैं और बदले में वह उनसे किसी न किसी की मानव बलि मांगती है। कहानी में मोड़ तब आता है जब शोभा (शिल्पा शिरोडकर) यह जान लेती है कि उसके घर के नीचे भी सोना गड़ा हुआ है। लालच में अंधी होकर वह उस सोने को पाने के लिए धन पिशाचनी की पूजा करती है और उसकी बलि की मांग पूरी करती है। इस रहस्यमयी और भयावह माहौल में सोनाक्षी का प्रवेश होता है जो धन पिशाचनी की भूमिका निभा रही होती है और जिसे अब एक नरबलि की तलाश है। तभी कहानी में एंट्री होती है शिवा की यानी सुधीर बाबू की जो एक घोस्ट हंटर है और आत्माओं के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करता। लेकिन जब वह इस गांव की काली सच्चाइयों से रूबरू होता है तो उसके जीवन की दिशा ही बदल जाती है। इस फिल्म में आगे क्या होता है वो आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।

एक्टिंग
फिल्म ‘जटाधारा’ में सोनाक्षी सिन्हा, शिल्पा शिरोडकर, सुधीर बाबू और दिव्या खोसला कुमार ने अपने-अपने किरदारों से दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। सभी कलाकारों ने अपनी अदाकारी से फिल्म को एक नए स्तर पर पहुंचाया है। खास तौर पर सोनाक्षी सिन्हा ने धन पिशाचनी के रूप में ऐसा दमदार और दिल दहला देने वाला प्रदर्शन किया है कि दर्शक उनकी हर झलक पर ठहर जाते हैं उनकी एक्टिंग सचमुच एक लेवल ऊपर नजर आती है। वहीं सुधीर बाबू ने अपने घोस्ट हंटर के किरदार को जिस गहराई और जोश के साथ निभाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस और इमोशनल रेंज ने दर्शकों का दिल जीत लिया। शिल्पा शिरोडकर ने भी अपने किरदार में साबित किया है कि वे एक अनुभवी और सशक्त कलाकार हैं। सालों बाद पर्दे पर वापसी करने के बावजूद उनके अभिनय में वही परिपक्वता और सहजता झलकती है जिसने एक समय दर्शकों को मोहित किया था। दिव्या खोसला कुमार ने अपने शांत लेकिन प्रभावशाली प्रदर्शन से फिल्म में भावनात्मक संतुलन बनाए रखा।

डायरेक्शन
फिल्म ‘जटाधारा’ का निर्देशन अभिषेक जैसवाल और वेंकट कल्याण ने किया है जबकि फिल्म की प्रोड्यूसर प्रेरणा अरोड़ा हैं। दोनों निर्देशकों ने मिलकर इस फिल्म को एक शानदार सिनेमाई अनुभव बना दिया है। हर सीन को इतनी बारीकी और गहराई से फिल्माया गया है कि दर्शक कहानी से बंधे रहते हैं और उनकी नजर स्क्रीन से हटती ही नहीं। कैमरा वर्क, लाइटिंग और लोकेशन का इस्तेमाल कहानी के रहस्य और डर के माहौल को और प्रबल बनाता है।