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पुणे: एफसी पुणे सिटी हीरो इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के चौथे सत्र के शुरू होने से पहले उन दो टीमों में शामिल थी जिसने कभी इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में जगह नहीं बनायी थी। पुणे आईएसएल का ऐसा पहला क्लब है जिसने अकादमी खोली, उसमें निवेश किया और अपने प्रशंसकों को तैयार किया। कागज पर मजबूत होने के बाद भी हालांकि उसकी टीम कभी सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई थी। वर्तमान सत्र को लगभग चार महीने हो चुके हैं और पुणे पिछले मिथक को तोड़कर पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रहा। इसका पूरा श्रेय कोच रैंको पोपोविच को जाता है।
इसके अलावा पुणे ने तीसरे सत्र के कुछ अच्छे खिलाडिय़ों को भी अपने साथ जोड़ा जिसमें मार्सेलिन्हो और मार्कस तेबार जैसे नाम शामिल हैं। इन दोनों ने 2016 में दिल्ली डायनामोज को सेमीफाइनल में प्रवेश दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इनके अलावा पुणे ने नार्थईस्ट से एमिलियानो अल्फारो को भी अपने साथ जोड़ा जिन्होंने टीम को यहां तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन इसके बाद भी पोपोविच का योगदान सबसे ऊपर है।
वह इन खिलाडिय़ों के टीम में शामिल होने के बाद टीम के कोच बने थे। टीम ने रणनीति पूर्व कोच एंटोनियो हबास के साथ बनाई थी जो पिछले सत्र में टीम के कोच थे। उन्हीं के साथ टीम ने इस साल खिलाडिय़ों का चयन किया। हर कोच के बाद सत्र से पहले अपनी टीम चुनने का मौका होता है, लेकिन पोपोविच को यह सौभाग्य नहीं मिला। वह हबास के जाने के बाद टीम से जुड़े। सत्र के शुरू होने से पहले कोच के साथ विवाद के बाद किसी ने इस क्लब से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की थी। और लीग के पहले मैच में पुणे को दिल्ली के हाथों हार मिली। दिल्ली ने पुणे को 3-0 से हराया। लेकिन अगले ही मैच में पोपोविच की टीम ने मौजूदा विजेता एटीके को 4-1 से हराकर शानदार वापसी की। 
पोपोविच की रणनीति और खिलाडिय़ों के सही चयन ने इस सत्र टीम को कई अच्छी जीत दिलाई। आदिल खान को मिडफील्डर के तौर पर उतारने का उनका फैसला सही साबित हुआ और मोहन बागान के इस पूर्व डिफेंडर ने तेबार के साथ शानदार प्रदर्शन किया जिससे टीम को स्थिरता मिली और अल्फारो, मार्सेलिंहो तथा डिएगो कार्लोस को खुलकर खेलने का मौका मिला।
पोपोविच ने इस सत्र में खिलाडिय़ों की विभिन्न क्षेत्रों में महारत का भी अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने बलजीत, रोहित कुमार, आदिल तथा सार्थक गोलुई को अलग-अलग मैचों में टीम की जरूरत से हिसाब से इस्तेमाल किया जो कारगर साबित हुआ। पुणे की सफलता का एक और कारण पोपोविच का युवा खिलाडिय़ों में भरोसा है। जहां कई कोच युवा खिलाडिय़ों को संभालने के मामले में चौकस हो जाते हैं वहीं पोपोविच ने उन पर भरोसा जताया और उनका यह भरोसा काम भी आया। विशाल कैथ (21 वर्ष), गोलुई (20), इसाक वानमालसवमा (21), आशिक कुरुनियन (20), रोहित (21), और साहिल पंवार (18) जैसे युवा खिलाडिय़ों ने टीम में अहम भूमिका निभाई।
पोपोविच ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारी टीम से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी भारत की राष्ट्रीय टीम में खेलें और लीग को मजबूत बनाएं। ’’ अपने आखिरी तीन मैचों में पुणे ने सिर्फ दो अंक हासिल किए और सेमीफाइनल में वह इसमें सुधार करने की कोशिश करेगा। मीफाइनल में उसका सामना बेंगलुरू एफसी जैसी टीम से है। बेंगलुरू एफसी इस सत्र में जीत की प्रबल दावेदार है, लेकिन पोपोविच अभी रणनीति बना रहे हैं। उनके पास शायद इस मैच के लिए कुछ अलग हो।