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नई दिल्लीः डेविस कप की इनामी राशि बांटने के मौजूदा फार्मूले से हटते हुए गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति और कोच जीशान अली को भी अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) ने कनाडा के खिलाफ मुकाबले की खिलाड़ी इनामी राशि में हिस्से का दावा करने की स्वीकृति दी है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के खिलाफ विश्व ग्रुप प्ले आफ मुकाबले तक इनामी राशि सिर्फ छह खिलाडिय़ों में बंटती थी जिसमें दो रिजर्व खिलाड़ी भी शामिल थे जबकि सहयोगी स्टाफ को एआईटीए स्वयं भुगतान करता था। हालांकि कनाडा के खिलाफ मुकाबले की राशि कप्तान और कोच के साथ छह खिलाडिय़ों में बराबर बंटी जिससे खिलाडिय़ों का हिस्सा कम हो गया।          

एआईटीए महासचिव हृणमय चटर्जी ने बराबर वितरण की पुष्टि करते हुए कहा कि भूपति के ऐसा प्रस्ताव रखने के बाद यह किया गया। चटर्जी ने कहा, ‘‘कप्तान के खिलाडिय़ों के साथ चर्चा करने और यह फैसला करने के बाद वितरण किया गया। इसलिए यह खिलाडिय़ों का फैसला है।’’ इस कदम से एकल खिलाडिय़ों को सबसे अधिक नुकसान होगा क्योंकि पुराने इंतजाम के तहत इनामी राशि में उनका हिस्सा सबसे अधिक होता था। इस तरह की संभावना है कि भविष्य के मुकाबलों के लिए खिलाड़ी नया फार्मूला निकाल सकते हैं जिससे कि उनके हिस्से में काफी कमी नहीं आए। नये वितरण माडल के बारे में पूछने पर भूपति ने कहा कि असल में वह चाहते थे कि दो फिजियो सहित सभी 10 लोगों को बराबर हिस्सा मिले लेकिन एआईटीए ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। संचालन संस्था सिर्फ कप्तान और कोच को शामिल करने के लिए राजी हुई।          

इस समान वितरण के बाद युकी भांबरी और रामकुमार रामनाथन को कनाडा के खिलाफ मैच दो-दो लाख रुपये के करीब राशि मिलेगी जबकि पिछले इंतजाम के अनुसार प्रत्येक को साढ़े तीन लाख रुपये मिलते। एआईटीए ने अब यह फैसला खिलाडिय़ों और कप्तान पर छोड़ दिया है कि वे किस इंतजाम को जारी रखना चाहते हैं। वे कनाडा के खिलाफ मैच की तरह बराबर वितरण चाहते हैं या पिछला इंतजाम जारी रहना चाहिए। एआईटीए अधिकारी ने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि राशि कैसे बांटी जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे भुगतान में कोई बदलाव नहीं होगा इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता। हम इसे छह में बांटें या आठ में इससे हम पर कोई असर नहीं पड़ता।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने कप्तान को साफ तौर पर कह दिया है कि जो भी इंतजाम लागू होगा वह पांच साल के लिए होगा। हम प्रत्येक मुकाबले के बाद फार्मूले में बदलाव नहीं चाहते। अब यह फैसला उन्हें करना है कि वे क्या चाहते हैं।’’