Sports

नई दिल्लीः हाल के वर्षों में सबसे सफल घरेलू कोच रहे सनथ कुमार को इसका कारण पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर इंडियन प्रीमियर लीग की फ्रेंचाइजी स्थानीय सहयोगी स्टाफ को नियुक्त करने में क्यों आशंकित रहती हैं जिनमें ट्रेनर और फिजियो भी शामिल हैं। कर्नाटक के पूर्व तेज गेंदबाज 55 वर्षीय सनथ ने राष्ट्रीय चैंपियनशिपों में कमजोर टीमों को सफलता दिलायी है।           

असम को रणजी ट्राफी सेमीफाइनल (2015-16) में पहुंचाना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। आंध्र को इस साल विजय हजारे ट्राफी के सेमीफाइनल में पहुंचाना भी कोई छोटी उपलब्धि नहीं कही जा सकती। कुछ साल पहले बड़ौदा की सैयद मुश्ताक अली टी20 में खिताबी जीत को भी नहीं भुलाया जा सकता है। रायल चैलेंजर्स बेंगलूर (आरसीबी) के साथ तीन साल तक सहायक कोच रहने के बावजूद आईपीएल की किसी फ्रेंचाइजी ने उनकी सेवा नहीं ली। आईपीएल की आठ में से सात फ्रेंचाइजी के शीर्ष कोच विदेशी हैं।        

BBL में स्टाफ अधिकतर आस्ट्रेलियाई 
सनथ ने कहा, ‘‘यह इंडियन प्रीमियर लीग है और इसमें अधिकतर सहयोगी स्टाफ भारतीय होना चाहिए। बिग बैश लीग (बीबीएल) को देखिये जहां अधिकतर सहयोगी स्टाफ आस्ट्रेलियाई है। नेटवेस्ट टी20 (इंग्लैंड) में अधिकतर इंग्लैंड का सहयोगी स्टाफ है और कैरेबियाई प्रीमियर लीग स्थानीय प्रतिभा का उपयोग करता है लेकिन भारत में हम अपने लोगों पर ध्यान नहीं देते। ’’