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जालन्धर : टोक्यो ओलिम्पिक का आयोजन 2020 में होना था लेकिन कोरोना वायरस के चलते इसे अगले साल तक के लिए टाल दिया गया। टोक्यो ओलिम्पिक प्रबंधन इन खेलों में कई तरह के प्रयोग कर रहा है। यह विश्व मंच पर सारा साल चर्चा बटोरते रहे। टोक्यो ओलिम्पिक के आयोजन को लेकर जापान सरकार सारा साल चर्चा में रही। जापान ऐसा पहलेा देश होगा जोकि ओलिम्पिक में नई वैज्ञानिक और सामाजिक कोशिशों का गवाह होगा।

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प्रबंधन ने इन खेलों में इलैक्ट्रॉनिक कचरे से मैडल बनाने की घोषणा की है। इसे विश्व भर में खूब सराहा गया। टोक्यो ओलिम्पिक प्रबंधन ने एक साल पहले ही स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों के लिए मोबाइल फोन और इलैक्ट्रॉनिक सामान एकत्रित करना शुरू कर दिया था। 2020 में सभी खेल प्रेमी इन पदकों को देखने का इंतजार करते रहे।

3 साल से जुटा रहे थे कचरा 

मैडल बनाने के लिए जापान की नगरपालिका ने अप्रैल 2017 से अभियान चलाया। 79 हजार टन मोबाइल फोन और इलैक्ट्रॉनिक सामान इक_ा हुआ जिसमें 60 लाख मोबाइल फोन थे।
400 डिजाइनर की मेहनत

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मैडल का डिजाइन तैयार करने के लिए 400 डिजाइनरों ने मेहनत की। मैडल पर यूनान की देवी विक्ट्री की पारम्परिक तस्वीर है। इन दोनों के बीच टोक्यो 2020 लिखा हुआ है।
8.5 सैंटीमीटर होगी पदकों की गोलाई
12.1 मिलीमीटर होगी पदकों की मोटाई
06 ग्राम शुद्ध सोना होगा स्वर्ण पदक में
92.5 फीसदी चांदी होगी रजत पदक में

गर्मी से बचाव के लिए किए गए हैं विशेष प्रबंध

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ओलिम्पिक में गर्मी से एथलीट और दर्शकों को बचाने के लिए टोक्यो प्रबंधन ने विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके तहत पानी की फुहारें छोडऩे वाले फुव्वारे जगह-जगह लगाए जाएंगे। प्रबंधन ने सिर्फ बर्फ समय पर उपलब्ध कराने के लिए बड़े इंतजाम किए हैं। ऐसे फव्वारे जगह-जगह होंगे जिससे दर्शक भी ठंडे पानी की फुहार ले सकेंगे। वातानुकूलित टैंट भी लगाए जाएंगे।

कोरोना के कारण पड़ा 2.8 बिलियन डॉलर का घाटा

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कोरोना के कारण टोक्यो ओलिम्पिक को टाल दिया गया। इस कारण प्रबंधक अब तक 2.8 बिलियन डॉलर का घाटा खा चुके हैं। टोक्यो आर्गेनाइजिंग कमेटी और जापान सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया कि बोली के वक्त ही 12.6 बिलियन डॉलर का अनुमान लगाया गया था। लेकिन कोरोना के कारण आधी से ज्यादा रकम और खर्च करनी होगी। बढ़ी रकम कोरोना से खिलाडिय़ों और प्रशंसकों को बचाने पर खर्च होगी।