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नई दिल्ली : दूसरो के घोड़ों पर निरंतर अभ्यास और हाल में रूस में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शीर्ष पर रहने से भारतीय टेंट पेगिंग टीम को दक्षिण अफ्रीका में आगामी विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करने का आत्मविश्वास मिला है। 

मोहित कुमार (नौसेना), दिनेश कार्लेकर (असम राइफल्स), हवलदार गौतम अट्टा (एएससी), मोहम्मद अबरार (61वीं कैवेलरी) और डॉ. अमित छेत्री (आईटीबीपी) 23 अगस्त से दक्षिण अफ्रीका के जॉर्जिया में प्रतिस्पर्धा पेश करेंगे। यह टेंट पेगिंग विश्व कप का चौथा सत्र है और भारतीय टीम दो बार विश्व कप में हिस्सा लेते हुए छठे स्थान से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है। 

 

टीम की अगुआई छेत्री कर रहे हैं और कोच की जिम्मेदारी कर्नल एसएस सोलंकी निभा रहे हैं। टीम का मानना है कि वह गैर ओलंपिक घुड़सवारी स्पर्धा के सबसे बड़े टूर्नामेंट में अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

मोहित ने कहा कि हम अपने घोड़ों के साथ अभ्यास करते थे लेकिन पिछले तीन महीने से हम दूसरों के घोड़ों पर अभ्यास कर रहे हैं जिससे कि हम अनजान घोड़ों के साथ तेजी से सामंजस्य बैठाने का कौशल विकसित कर सकें। हमें नहीं पता कि प्रतियोगिता के दौरान हमें कौन सा घोड़ा मिलेगा। इसका फैसला ड्रॉ से होगा।

 

उन्होंने कहा कि इसलिए आपको यह सीखना होगा कि जानवर कैसा व्यवहार कर रहा है और उसकी चाल कैसी है। हम अच्छा कर रहे हैं। स्कोरिंग में सुधार हुआ है। पहले यह 65-70 प्रतिशत था लेकिन अब यह 80-85 प्रतिशत हो गया है। साथ ही जिस तरह से हम रूस में विपरीत परिस्थितियों से निपटे, उससे हमें आत्मविश्वास मिला कि हम विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

 

भारतीय टीम जुलाई में मैत्री अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए रूस पहुंची थी लेकिन उपकरणों के बिना क्योंकि समय पर मंजूरी नहीं मिली और एयरलाइन ने भाले और तलवार ले जाने से इनकार कर दिया। टीम का एक रिजर्व सदस्य उपकरण लेकर हवाई अड्डे से लौट आया। 

कोच सोलंकी ने कहा कि यह हमारे लिए अजीब स्थिति थी। हमें अन्य प्रतिस्पर्धियों से उपकरण उधार लेने पड़े। यह एक चुनौती थी क्योंकि लगातार उपयोग के साथ आप उपकरणों के आदी होते हैं और अचानक पूरी तरह से अलग-अलग भाले और तलवार होने से निश्चित रूप से आपके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिन घोड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा था, वे उचित टेंट पेगिंग घोड़े नहीं थे, वे जिम्नास्टिक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़े थे। घोड़े पेग (जमीन पर पड़ा सामान) से दूर जा रहे थे। अनुकूलन चुनौतीपूर्ण था। कोच को पता था कि यह एक कठिन चुनौती है लेकिन वह अपने खिलाड़ियों को प्रेरित रखना चाहते थे। मोहित ने कहा कि कोच ने कहा कि आप हथियारों से नहीं हौसले से जीतते हो।