खेल डैस्क : रेसलर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने पेरिस ओलिंपिक से अयोग्य होने के बाद पहली प्रतिक्रिया दी है। विनेश 7 अगस्त को फाइनल से ठीक पहले 100 ग्राम ओवरवेट होने के कारण अयोग्य घोषित कर दी गई थीं। उन्होंने सुबह वजन करवाने से पहले सारी रात एक्सरसाइज की थी लेकिन यह उनके काम नहीं आई। नतीजा यह हुआ कि वह अयोग्य होने के कारण बाहर हो गई। उन्होंने क्यूबा की जिस रैसलर को सेमीफाइनल में हराया था, वह फाइनल में पहुंच गया। विनेश ने इसके खिलाफ अपील दर्ज की थी लेकिन इंटरनेशनल ओलंपिक संघ ने इसे खारिज कर दिया। अब अपील खारिज होने के बाद विनेश की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। विनेश ने शुक्रवार को एक्स पर 3 पेज की पोस्ट डालकर अपना दर्द बयां किया है। पढ़िए उक्त लेटर की कुछ खास बातें-
पिता का सपना पूरा किया
'जब मैं छोटी थी, तब मुझे ओलंपिक्स के बारे में जानकारी नहीं थी। मैं भी हर छोटी बच्ची की तरह लंबे बाल रखना चाहती थी। फोन को हाथ में लेकर घूमना चाहती थी। मेरे पिता एक सामान्य बस ड्राइवर हैं। वे अपनी बेटी को हवाई जहाज में उड़ते हुए देखना चाहते थे। मैंने अपने पिता का सपना पूरा कर दिया। जब भी वे मुझे इसका जिक्र करते हैं तो मैं हंस देती हूं।'
पति न होते तो मैं यहां न होती
विनेश ने लिखा- 'तमाम मुश्किलों के बावजूद मेरे परिवार ने भगवान पर भरोसा रखा। हमें यह यकीन रहा है कि जो भगवान ने हमारे लिए सोचा होगा वह अच्छा ही सोचा होगा। मेरी मां हमेशा कहती हैं कि भगवान कभी अच्छे लोगों के जीवन में बुरी चीजें नहीं आने देते हैं। मुझे इस बात पर तब और ज्यादा यकीन हो गया, जब मैं अपने पति सोमवीर के साथ जीवन के रास्ते पर आगे बढ़ी। सोमवीर ने मेरा हर सफर में साथ दिया है। सोमवीर, जो कि मेरे पति, जीवनसाथी और जीवन भर के लिए सबसे अच्छा दोस्त है। यह कहना कि जब हमने किसी चुनौती का सामना किया, तो हम बराबर के भागीदार थे, गलत होगा, क्योंकि उन्होंने हर कदम पर बलिदान दिया और मेरी कठिनाइयों को उठाया, हमेशा मेरी रक्षा की। उन्होंने मेरी यात्रा को अपने सफर से ऊपर रखा और अत्यंत निष्ठा, समर्पण और ईमानदारी के साथ अपना सहयोग प्रदान किया। यदि वह नहीं होता, तो मैं यहां रहने, अपनी लड़ाई जारी रखने और प्रत्येक दिन का सामना करने की कल्पना नहीं कर सकती थी। यह केवल इसलिए संभव है, क्योंकि मैं जानती हूं कि वह मेरे साथ खड़ा है, मेरे पीछे है और जरूरत पड़ने पर मेरे सामने खड़ा है और हमेशा मेरी रक्षा कर रहा है।
मां से आया कभी न हार मानने वाला व्यवहार
मेरी मां का सपना अब और दूर हो गया था, क्योंकि मेरे पिता की मृत्यु के कुछ महीने बाद उन्हें स्टेज तीन कैंसर का पता चला था। यहां तीन बच्चों की यात्रा शुरू हुई, जो अपनी अकेली मां का समर्थन करने के लिए अपना बचपन खो देते हैं। जल्द ही मेरे लंबे बाल, मोबाइल फोन के सपने धूमिल हो गए, क्योंकि मैंने जीवन की वास्तविकता का सामना किया और अस्तित्व की दौड़ में शामिल हो गई। लेकिन संघर्ष ने मुझे काफी कुछ सिखाया। मेरी मां का संघर्ष, कभी हार ना मानने का व्यवहार और लड़ने की क्षमता, जैसी मैं आज हूं। उन्होंने मुझे उस चीज के लिए लड़ना सिखाया, जो मेरा हक है। जब मैं साहस के बारे में सोचती हूं तो उनके बारे में सोचती हूं और यही साहस है जो मुझे परिणाम के बारे में सोचे बिना हर लड़ाई लड़ने में मदद करता है।
मेरे आसपास कुछ लोग ईमानदारी थे
मेरी यात्रा ने मुझे बहुत सारे लोगों से मिलने का मौका दिया है, जिनमें से ज्यादातर अच्छे और कुछ बुरे हैं। पिछले डेढ़-दो साल में, मैट के अंदर और बाहर बहुत कुछ हुआ है। मेरी जिंदगी ने कई मोड़ लिए और ऐसा लगा जैसे उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, लेकिन मेरे आस-पास के जो लोग थे उनमें ईमानदारी थी, मेरे प्रति सद्भावना थी और व्यापक समर्थन था। ये लोग और उनके मुझ पर विश्वास इतना मजबूत था कि यह उन्हीं की वजह से है कि मैं आगे बढ़ी और पिछले 2 वर्षों से इन चुनौतियां निपट सकी।
ओलिंपिक से बाहर होने के बाद संन्यास लिया था
पेरिस ओलिंपिक से अयोग्य घोषित होने के बाद विनेश ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा- 'मां कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई। माफ करना आपका सपना, मेरी हिम्मत सब टूट चुके। इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब। अलविदा कुश्ती 2001-2024, आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी, माफी।