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xटोक्यो : भारत का एथलेटिक्स में ओलिम्पिक पदक का पिछले 100 साल का इंतजार खत्म करने के लिए सभी की निगाहें नीरज चोपड़ा पर टिकी हैं जो टोक्यो ओलिम्पिक में शनिवार को पुरुषों के भाला फेंक के फाइनल में उतरेंगे। नीरज को ओलिम्पिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शान के साथ फाइनल में जगह बनाई थी। भारत की तरफ से एंटवर्प ओलिम्पिक में 5 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था जिसमें तीन ट्रैक एवं फील्ड के एथलीट थे, लेकिन तब से लेकर अब तक कोई भी भारतीय एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पाया है।

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चोपड़ा ने क्वालीफाईंग दौर के बाद कहा था कि यह मेरा पहला ओलिम्पिक खेल है और मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। अभ्यास के दौरान मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था लेकिन क्वालीफाईंग में मेरा पहला थ्रो सही कोण से गया। यह शानदार थ्रो था। मुझे थ्रो पर ध्यान देने की आवश्यकता है और अपना यही प्रदर्शन दोहराना होगा और इससे अधिक स्कोर बनाना होगा। चोपड़ा ने इस साल 88.07 मीटर के प्रदर्शन के साथ ओलिम्पिक में पहुंचे हैं। क्वालीफाईंग में उन्होंने स्वर्ण पदक के दावेदार और 2017 के विश्व चैंपियन जर्मनी के योहानेस वेटर को भी पीछे छोड़ा था।

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अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति (आईओसी) अब भी नार्मन प्रिचार्ड के पेरिस ओलिम्पिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में जीते गए पदकों को भारत के नाम पर दर्ज करता है लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था। हरियाणा में पानीपत के करीब स्थित खांद्रा गांव के एक किसान के बेटेनीरज पदक जीतकर इतिहास रच सकते हैं। मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमश 1964 और 1984 में मामूली अंतर से चूक गए थे। 

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अप्रैल और जून में 90 मीटर थ्रो करने वाले वेटर ने चोपड़ा के बाद दूसरे स्थान पर रहकर क्वालीफाई किया था। पदक के कुछ दावेदार क्वालीफाईंग में ही बाहर हो गए। इनमें पोलैंड के मार्सिन क्रूकोवस्की और 2012 के ओलंपिक चैंपियन और रियो 2016 के कांस्य पदक विजेता त्रिनिदाद एवं टोबैगो के केशोर्न वालकॉट भी शामिल हैं। इस सत्र में सर्वश्रेष्ठ पांच प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों में केवल चोपड़ा और वेटर ही फाइनल में पहुंचे हैं।