मॉस्कोः रूस में चल रहे 21वें फीफा विश्वकप में उरुग्वे ने अपने ग्रुप के तीनों मैच जीतकर प्री क्वाटर फाइनल में जगह बनाई है। उरुग्वे के खिलाफ मौजूदा विश्वकप में अभी तक एक भी गोल नहीं हुआ है। ऐसा उरुग्वे के साथ पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले वह 1930, 1950 और 2010 विश्वकप में भी ग्रुप दौर का अंत सभी मैचों में क्लीनशीट के साथ किया था। उरुग्वे की सफलता के पीछे एक ऐसा शख्स है, जो बैसाखी के सहारे चलता है और टचलाइन से लगातार खिलाड़ियों को ऊंची आवाज में दिशा-निर्देश भी देता है। यह शख्स कोई और नहीं बल्कि उरुग्वे के मैनेजर ऑस्कर तबरेज हैं। वह वर्ल्ड कप में सबसे उम्रदराज कोच हैं। 71 साल के तबरेज एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन विश्वकप में उनका उत्साह देखते ही बनता है। ऑस्कर को जीबीएस (गुलियन बैरे सिंड्रोम) नामक गंभीर बीमारी है। गूलियन बैरे सिंड्रोम एक ऐसा विकार है, जिसमें रोगी के शरीर में पहले सिहरन या दर्द होने लगता है और फिर उसके बाद उसकी मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। बीमारी का पता लगते ही इलाज ना होने पर ब्रीदिंग मसल्स तक कमजोर हो जाती हैं। कई बार मरीज को लकवा तक हो जाता है। उरुग्वे की टीम ने ऑस्कर के कोच रहते 2010 में वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल का सफर तय किया था। डिफेंडर के तौर पर वह उरुग्वे के लिए खेल चुके हैं और 2006 से अब तक टीम में कोच की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने सन् 1980 में टीम से सन्यास लिया और एस साल बाद ही उरुग्वे के क्लब बेला विस्टा के कोच बन गए थे। ऑस्कर ने कोच के तौर पर उरुग्वे को 2006 से अब तक यानी 25 जून 2018 तक 155 मैचों में 77में जीत दिलाई है, 39 ड्रॉ रहे हैं और इतने ही मैच में हार का सामना करना पड़ा है। ऑस्कर की जीत का प्रतिशत 49.68 रहा है। ऑस्कर 1988-90 के दौरानु भी उरुग्वे के कोच रहे। तब उन्होंने 34 मैचों में 17 जीत दिलाई थी। पॉइंट टेबल ग्रुप 'A'
1930 and 1950 #WorldCup winners #URU looking 💪.We say a sad farewell to #KSA & #EGY and their wonderful fans. pic.twitter.com/y2pvKNfE9E— FIFA World Cup 🏆 (@FIFAWorldCup) June 25, 2018
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