कोलकाता : पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने राजनीति में प्रवेश से इनकार किया लेकिन कहा कि भारतीय टीम का कोच बनने से उन्हें इनकार नहीं है। जुलाई में 53 साल के होने जा रहे गांगुली 2018-19 और 2022-24 के बीच दिल्ली कैपिटल्स के टीम निदेशक रहे। क्या वह भारतीय टीम का कोच बनना चाहेंगे, यह पूछने पर उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मैने इसके बारे में सोचा नहीं क्योंकि मैं अलग अलग भूमिकाओं में रहा हूं।'
उन्होंने कहा, ‘मैने 2013 में प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलना छोड़ा और फिर बीसीसीआई अध्यक्ष बन गया।' उनसे जब कहा गया कि वह भारत का कोच बनकर और भी योगदान दे सकते थे, तो गांगुली ने कहा, ‘देखते हैं कि आगे क्या होता है। मैं 50 (53) साल का ही हूं। देखते हैं कि क्या होता है। मुझे इससे ऐतराज नहीं है। देखते हैं।' यह तो तय है कि वह राजनीति में नहीं उतरने वाले। यह पूछने पर कि पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले क्या वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ेंगे, उन्होंने मुस्कुराकर कहा, ‘मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।'
अगर उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने की पेशकश की जाये तो? इस पर भी उन्होंने कहा, ‘मेरी कोई रूचि नहीं है।' गांगुली ने मौजूदा कोच गौतम गंभीर की तारीफ करते हुए कहा कि दुबई में चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद से उन्होंने लय पकड़ ली है। उन्होंने कहा, ‘गौतम अच्छा कर रहा है। शुरूआत धीमी रही जब आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से हारे लेकिन चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद उन्होंने लय पकड़ ली। इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला बड़ी होगी।'
गंभीर कितने कुशल रणनीतिकार हैं, यह पूछने पर उन्होंने गंभीर के जुनून और बेलागपन की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘इस भूमिका में मैने उसे बहुत करीब से नहीं देखा है लेकिन मैने उसका जुनून देखा है। मैने उसकी रणनीतियों को करीब से नहीं देखा क्योंकि उसके कोच रहते मैने उसके साथ काम नहीं किया।' गांगुली ने कहा, ‘वह सीधी बात करता है और चीजों को साफ देखता है। वह अपने विचार खुलकर रखता है। टीम के बारे में, खिलाड़ियों , लोगों और सबके बारे में। बाहर से आप कह सकते हैं कि वह काफी पारदर्शी इंसान है।'
उन्होंने अपने खेलने के दिनों को याद करते हुए कहा कि गंभीर हमेशा सीनियर्स का काफी सम्मान करता था। उन्होंने कहा, ‘मैने उसके साथ खेला है। उसने हमेशा मुझे और सीनियर खिलाड़ियों को काफी सम्मान दिया। अभी भी अपने काम को लेकर उसके भीतर काफी जुनून है।' उन्होंने कहा, ‘मैं उसे शुभकामना देता हूं। अभी उसे कोच बने एक ही साल हुआ है। इंग्लैंड का दौरा अहम होगा। ऑस्ट्रेलिया में थोड़ा संघर्ष था लेकिन हर किसी की तरह वह सीखेगा और बेहतर होगा।'