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नई दिल्ली : मनप्रीत सिंह 30 साल की उम्र को पार कर चुके हैं लेकिन इस स्टार मिडफील्डर को उम्मीद है कि अगर वह फिट रहते हैं तो लॉस एंजिल्स में 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में भाग ले सकते हैं जो उनका पांचवा ओलंपिक होगा। मनप्रीत अभी 32 साल के हैं और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं। भारत ने उनके कप्तान रहते हुए तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। वह पेरिस ओलंपिक में हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य भी थे। 

मनप्रीत ने कहा, ‘मेरा लक्ष्य लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेल हैं लेकिन सब कुछ मेरी फिटनेस पर निर्भर करता है। अगर मैं अपनी फिटनेस बनाए रखता हूं और अच्छा प्रदर्शन करता रहता हूं तो मैं निश्चित तौर पर अगले ओलंपिक में खेलूंगा।' उन्होंने कहा, ‘आज की हॉकी में फिटनेस बेहद महत्वपूर्ण हो गई है इसलिए आखिर में सब कुछ मेरी फिटनेस पर ही निर्भर करेगा।' 

मनप्रीत को फिटनेस को लेकर अभी तक किसी खास समस्या का सामना नहीं करना पड़ा और उन्हें उम्मीद है कि वह आगे भी अपनी फिटनेस बनाए रखेंगे। मनप्रीत के अलावा पूर्व दिग्गज खिलाड़ी उधम सिंह, लेस्ली क्लॉडियस और धनराज पिल्लै तथा हाल में संन्यास लेने वाले पीआर श्रीजेश ने चार ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। भारत की तरफ से अभी तक 378 अंतरराष्ट्रीय मैच में 44 गोल करने वाले मनप्रीत का लक्ष्य ओलंपिक खेल 2028 में भाग लेकर नया रिकॉर्ड बनाना है। पंजाब के मीठापुर गांव का रहने वाला यह खिलाड़ी लगातार दो ओलंपिक पदक जीत कर काफी खुश है। 

उन्होंने कहा, ‘लगातार दो ओलंपिक पदक जीतना एक अलग तरह की अनुभूति है। हमने लंबे समय बाद ओलंपिक में लगातार दो पदक जीते हैं और प्रत्येक खिलाड़ी ओलंपिक पदक जीतना चाहता है।' मनप्रीत ने कहा, ‘मैं चार ओलंपिक में भाग ले चुका हूं। पहले दो ओलंपिक में मैं पदक हासिल नहीं कर पाया लेकिन पिछले दो ओलंपिक में मैंने पदक हासिल किए। मैं कितना खुश हूं आप इसका अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।' 

यह मिडफील्डर जरूरत पड़ने पर रक्षापंक्ति में भी खेलने के लिए तैयार रहता है जैसा कि उन्होंने पेरिस ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ किया जबकि भारतीय टीम 42 मिनट तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेली। मनप्रीत ने कहा, ‘मैं टीम की जरूरत के हिसाब से हमेशा हर तरह की स्थिति में खेलने के लिए तैयार रहता हूं और किसी भी पोजीशन में फिट हो जाता हूं। जब अमित रोहिदास को रेड कार्ड मिला तो मुझे तुरंत ही एहसास हुआ कि मुझे अब रक्षापंक्ति में खेलना है।' 

उन्होंने कहा, ‘मैंने इसके लिए काफी अभ्यास किया था इसलिए यह मेरे लिए मुश्किल काम नहीं था। मैं अपनी भूमिका और जिम्मेदारी समझता हूं और मुझे केवल अपनी रणनीति पर अमल करना था।' पेरिस ओलंपिक के बाद संन्यास लेने वाले श्रीजेश के बारे में मनप्रीत ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि वह (श्रीजेश) कितना अच्छा गोलकीपर था लेकिन यह उसका व्यक्तिगत निर्णय था और ऐसा प्रत्येक खिलाड़ी के साथ होता है। हमें इस पर गौर करने की जरूरत है कि हमें इस स्थिति से कैसे आगे निकलना है। कृष्ण (बहादुर पाठक) और सूरज (करकेरा) अच्छे गोलकीपर हैं और उन्हें शीर्ष स्तर पर खेलने का अनुभव भी है।' 

जब मनप्रीत ने अपना दूसरा ओलंपिक पदक जीता तो उनकी मलेशियाई पत्नी इली नजवा सादिक और उनकी ढाई साल की बेटी जैस्मीन पेरिस में थीं। उन्होंने कहा, ‘पदक वितरण समारोह के बाद मेरी बेटी और पत्नी मैदान पर मेरे साथ थे और मेरी बेटी मैदान के चारों ओर दौड़ रही थी। मेरे पास मेरी बेटी की पदक पहने हुए एक तस्वीर है। यह वास्तव में गर्व की अनुभूति थी।'