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नई दिल्ली : हर्षल पटेल इस समय अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में हैं। पिछले साल आईपीएल में सर्वाधिक 32 विकेट लेकर उन्होंने 31 वर्ष की उम्र में भारतीय टीम में अपना दावा पेश किया। उनकी हालिया सफलता क्रिकेट और जीवन के प्रति उनकी बदली हुई व्यवहारिक सोच से आई है। 

गुजरात, हरियाणा, अमरीका आप तीनों जगह रहे हैं? आप किसे घर मानते हैं? के बारे में पूछने पर हर्षल ने कहा, ‘अहमदाबाद मेरा हमेशा से घर रहा है। मैं यहीं पर जन्मा, पला-बढ़ा हूं। मैंने क्रिकेट भी यहीं से खेलना शुरू किया। 2003 विश्व कप के बाद मैं कोचिंग कैंप में जाना शुरू किया। उस समय एक अखबार में मेरी तस्वीर सहित एक खबर आई थी कि कैसे विश्व कप शुरू होने से युवाओं में क्रिकेट का खुमार बढ़ गया है। यह क्रिकेट की मेरी पहली यादें हैं। मैं अपने उम्र के खिलाड़ियों में सबसे अच्छा था और मैंने अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 में बहुत अच्छा किया।' 

आप 18 साल की उम्र में बेहतर मौके की तलाश में हरियाणा आ गए? अब एक भारतीय खिलाड़ी के रूप में अहमदाबाद लौटकर आपको कैसा लग रहा है, उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा नहीं सोच रहा। मैं अपने आपको उस क्रिकेटर के रूप में सोच रहा जो अभी अपने खेल के शीर्ष पर है और लगातार कुछ न कुछ सीखना चाहता है, बेहतर होना चाहता है। जो कुछ भी मेरी तरफ आएगा, मैं उसे खुशी खुशी स्वीकार करूंगा। 

क्या जब गेंद आपके हाथ में होती है तो आप अपने आप को सर्वश्रेष्ठ महसूस करते हैं, हर्षल ने कहा, ‘100 फीसदी। मैं ऐसा अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी लिख चुका हूं, जब 2019 का रणजी सीजन मेरे लिए बहुत बेहतरीन गया था। मैं इसके लिए पिछले तीन-चार साल से कड़ी मेहनत कर रहा था। मुझे टीम इंडिया के ट्रेनर से भी इनपुट मिलता था लेकिन मैंने अपना खुद का एक अभ्यास कार्यक्रम बनाया था, जिस पर मैं पिछले तीन साल से काम कर रहा था। यह अभ्यास कार्यक्रम मेरे खुद के अनुभवों पर आधारित था। कई लोग कहते हैं कि 30 साल के बाद आप शारीरिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। यही आपका शीर्ष काल होता है। मैं फिलहाल अपने शारीरिक और मानसिक मजबूती के शीर्ष पर हूं।' 

आईपीएल 2021 में जाते वक्त के बारे में पूछने पर हर्षल ने कहा, ‘मैंने 2018 से ही अपने आप से सवाल करना शुरू कर दिया था। उस साल मैं अपनी बेस प्राइस 20 लाख रुपए पर बिका था, जो मेरे लिए निराश करने वाला था। मुझे लगा कि एक क्रिकेटर के रूप में मेरी कोई वैल्यू ही नहीं है। इसके बाद मैंने अपने स्किल्स को और बेहतर करना शुरू किया। मुझे महसूस हुआ कि मैं अच्छे यॉकर्र डाल सकता हूं, लेकिन मैं मैच में उनका उपयोग कम करता हूं। इसके बाद मैं जो नेट में करता था, वही मैच में भी करना शुरू किया। इसके लिए मैंने अपने आपको मानसिक रूप से मजबूत करना शुरू किया ताकि मैं स्वतंत्र ढंग से अपने आपको मैच में भी लागू कर सकूं। 

क्या कभी ऊब भी जाते हैं? उन्होंने कहा, ‘हां, कई बार। कई बार मुझे ऐसा लगा कि मैं शायद प्रोफेशनल क्रिकेट के लिए नहीं बना हूं और फिर अगले ही दिन नेट्स में जाकर मैं अभ्यास भी करने लगता था। तब लगता था सब कुछ ठीक तो है। यह चक्र कई बार होता था। अब मैं मैदान से बाहरल ‘क्रिकेटर हर्षल' की जगह ‘व्यक्ति हर्षल' होता हूं। मैंने अब दबाव लेना बंद कर दिया है कि मुझे हर समय अच्छा ही करना है। जब मैंने ऐसा करना शुरू किया तो मेरे अंदर से असफलता का डर भी धीरे-धीरे खत्म होने लगा। मैंने अब अपने खेल को एन्जॉय करना शुरू कर दिया। 

बल्लेबाजी के सन्दर्भ में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘यह टीम में योगदान देने का एक और तरीका है। अगर मैं किसी दिन गेंद के साथ अपना योगदान नहीं कर सका, तो बल्ले के साथ करूंगा और अगर बल्ले के साथ नहीं कर सका तो फील्डिंग में करूंगा। अगर मैं बल्लेबाज़ी के लिए आता हूं तो मैं 7 गेंद में 15 से 20 रन बनाने की कोशिश करूंगा। मैं नैसर्गिक रूप से गेंद का अच्छा टाइमर हूं।'