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स्पोर्ट्स डेस्क : हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या के पिता हिमांश पांड्या की दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पिता के अचानक चले जाने से पांड्या परिवार शोक में है। आज हार्दिक पांड्या की गिनती दुनिया के बड़े-बड़े ऑलराउंडर्स में की जाती हैं। वहीं उनके बड़े भाई भी इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। लेकिन इन दोनों को इतना बड़ा खिलाड़ी बनाने के पीछे इनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है। बेटों को बड़ा खिलाड़ी बनाने के लिए हिमांशु पांड्या ने जीवन में कई संघर्ष करने पड़े।

बेटों की काबिलियत पर था पूरा भरोसा

हिमांशु पांड्या ने अपने दोनों बेटों को कामयाब खिलाड़ी बनाने के लिए कई त्याग करने पड़े। हिमांशु पांड्या की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दोनों खिलाड़ियों को अच्छी शिक्षा दिलाई। क्रिकेट में बेटों को बड़े स्तर पर खेलने को मिले इसके लिए उन्होंने अपना सबकुछ छोड़कर दूसरे शहर चले गए ताकि उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके। वह अपने बेटों के बल्लेबाजी पर लोगों से 100-100 रूपए की शर्त लगाते थे। उन्हें अपने बेटों पर इतना भरोसा था। 

सूरत से वडोदरा पहुंचने की कहानी

हार्दिक पांड्या और क्रुणाल पांड्या ने अपने कई इंटरव्यू में कहा कि उनके पिता ने उन्हें बनाने के लिए काफी कुछ सहा है। वहीं खुद हिमांशु पांड्या ने एक बार इंटरव्यू में कहा था कि उनका जिंदगी का सफर बेहद मुश्किल भरा रहा है। क्रुणाल जब 6 साल का था तब मैं उसे प्रैक्टिस करवाया करता था और उसकी बल्लेबाजी देख मुझे लगता था कि वह अच्छा क्रिकेटर बन सकता है। एक दिन किरन मोरे के मैनेजर सूरत में आए और वहां उनकी नजर क्रुणाल पर पड़ी। उन्होंने मुझे कहा कि कहा कि आप इसे लेकर वडोदरा आ जाओ। मैं उसे वहां प्रैक्टिस करवाने के लिए ले गया। साथ में हार्दिक पांड्या भी जाने लग पड़ा। 

क्रुणाल ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पिता उन्हें मैच खिलाने के लिए रोजाना 50 किलोमीटर बाइक चलाकर उन्हें मैदान तक छोड़ने जाया करते थे। वहीं हिमांशु पांड्या ने भी इस बात पर कहा था कि मैं दोनों बेटों को मैदान तक छोड़ने जाया करता था। दोनों ने पूरा दिन मैदान में रहना और थककर वापस आना।