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मुंबई : दिग्गज हरफनमौला बेन स्टोक्स (Ben Stokes) के संन्यास से वापस आने और 2019 का खिताब जीतने वाली टीम के ज्यादातर सदस्यों की मौजूदगी के कारण इंग्लैंड पांच अक्टूबर से शुरू होने वाले 50 ओवर के विश्व कप के दौरान भारत में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पिछली सफलता को दोहराना चाहेगा। इंग्लैंड की टीम में गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों विभागों में विकल्प की कोई कमी नहीं है लेकिन टीम के लिए भारत की परिस्थितियों से सामंजस्य बैठाना चुनौतीपूर्ण होगा।

टीम के खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग में खेलने के अपने अनुभव का विश्व कप में फायदा उठाना चाहेंगे। जोस बटलर की अगुवाई में टीम पांच अक्टूबर को गत उपविजेता न्यूजीलैंड के खिलाफ अहमदाबाद में अपने विश्व कप अभियान का आगाज करेगी। इंग्लैंड की टीम का विश्लेषण इस प्रकार है।

मजबूती : स्टोक्स की मौजूदगी से टीम काफी मजबूत दिख रही है। उनके पास ऐसे कई खिलाड़ी भी हैं जो जानते हैं कि वैश्विक टूर्नामेंट कैसे जीता जाता है। टीम का बल्लेबाजी क्रम लंबा है और इस प्रारूप में बेखौफ बल्लेबाजी किसी भी टीम को दबाव में ला सकती है। खराब फॉर्म में चल रहे जेसन रॉय के स्थान पर हैरी ब्रूक को शामिल करने से बल्लेबाजी और मजबूत हुई है। उनके पास जो रूट जैसे अनुभवी बल्लेबाज है। तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर रिजर्व खिलाड़ी होंगे, लेकिन मार्क वुड की तेज गति और लेग स्पिनर आदिल राशिद भारतीय पिचों पर उनके लिए महत्वपूर्ण होंगे।

कमजोरी : विश्व कप से पहले इंग्लैंड को उपमहाद्वीप की परिस्थितियों में ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला है। टीम ने घरेलू परिस्थितियों में न्यूजीलैंड को 3-1 से हराया था लेकिन टूर्नामेंट में खेल रही कुछ अन्य टीमों की तरह उसने हाल-फिलहाल में उपमहाद्वीप में नहीं खेला है। टीम को आक्रामक बल्लेबाजी का पिछले कुछ समय में काफी फायदा मिला है लेकिन भारत की धीमी पिचों में इसकी परीक्षा होना बाकी है।

मौका : इसमें कोई शक नहीं की इंग्लैंड ने सफेद गेंद के प्रारूप में पिछले कुछ समय में शानदार प्रदर्शन किया है। टीम टेस्ट में ‘बाजबॉल' की अपनी शैली को इस प्रारूप में आजमा रही है। इसकी झलक न्यूजीलैंड के खिलाफ श्रृंखला में भी दिखी जहां स्टोक्स ने 124 गेंद में 182 रन ठोक डाले।

खतरा : इंग्लैंड ने इस साल सिर्फ 10 एकदिवसीय मैच खेले हैं। बटलर के बल्लेबाजों को स्पिनरों और खास कर एशियाई देशों के ऐसे गेंदबाजों से कड़ी चुनौती मिलेगी।