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खेल डैस्क : कॉमनवैल्थ गेम्स 2022 के महिला कुश्ती 68 किग्रा वर्ग  में भारतीय पहलवान दिव्या काकरण ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल रही। दिव्या ने टोंगा की टाइगर कॉकर से यह मुकाबला जीतने के लिए 30 सैकेंड लगाए। उन्होंने शुरूआत में ही कॉकर को मैट पर ला दिया। इसके बाद वह उनके ऊपर आ गई और उन्हें उठने का मौका नहीं दिया। रैफरी ने टेक्नीकल वजहों से दिव्या की जीत में विसल बजा दी। 

 


गेम्स में ऐसा रहा दिव्या का प्रदर्शन
राऊंड 16 (बाई) :
भारतीय पहलवान को राऊंड 16 में बाई मिल गई। 
क्वार्टरफाइनल (हार) : दिव्या को यहां नाइजीरिया की बलैसिंग ओबोरुडुडु के खिलाफ हार झेलनी पड़ी। दिव्या को उनका डिफेंस भारी पड़ा। 
रेपचेज (जीत) : क्योंकि दिव्या ने पहले राऊंड में बलैसिंग ओबोरुडुडु  को हराया था ऐसे में उन्हें रेपचेज में ब्लैंडाइन न्येह नगिरी के खिलाफ मैच खेलना पड़ा। जिसे वह 4-0 से जीत गई।
ब्रॉन्ज मुकाबला (जीत) : ब्रॉन्ज के लिए दिव्या टोंगा की टाइगर-लिली कॉकर-लेमाली के सामने थीं। दिव्या ने शुरूआत से ही पकड़ बनाई और पहले ही मिनट में पिन से ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। 

 

दिव्या काकरण की उपलब्धियां

राष्ट्रमंडल खेल
कांस्य पदक - बर्मिंघम 2018, 68 किग्रा
कांस्य पदक - गोल्ड कोस्ट 2018, 68 किग्रा

एशियाई खेल
कांस्य पदक - जकार्ता पालेम्बैंग 2018, 68 किग्रा

एशियाई चैम्पियनशिप
स्वर्ण पदक - अल्माटी 2021, 72 किग्रा
स्वर्ण पदक - नई दिल्ली 2020, 68 किग्रा
रजत पदक - नई दिल्ली 2017, 69 किग्रा
कांस्य पदक - शीआन 2019, 68 किग्रा

राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप
स्वर्ण पदक - जोहान्सबर्ग 2017, 69 किग्रा

 

दिव्या के पिता कभी बेचते थे लंगोट
बता दें कि 6 बार की भरत केसरी दिव्या ने पहली बार में ही सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड जीत लिया था। दिव्या के पिता लंगोट बेचने का काम करते थे। दिव्या ने जीत के बाद पिता को पदक पहना  दिया था। बेटी की उपलब्धि पर पिता सूरज बेहद खुश थे। उन्होंने कहा था कि यह मेरी जिंदगी का सबसे यादगार समय है। अब घर का खर्च मेरे लंगोट बेचने से नहीं बिटिया की कमाई से चलेगा। दिव्या ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और शानदार प्रदर्शन कर कॉमनवैल्थ गेम्स 2018 में सिल्वर मेडल जीत लिया।