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खेल डैस्क : कॉमनवैल्थ गेम्स 2022 में भारत के लिए सबसे ज्यादा मैडल भले ही रैसलिंग से आए लेकिन वेटलिफ्टर्स ने भी अपने दमखम से सबको हैरान कर दिया। वेटलिफ्टिंग देश का तेजी से बढ़ता खेल बनता जा रहा है। हम इस खेल में कॉमनवैल्थ के पिछले पांच सीजन में 50 मैडल जीत चुके है। हमें 2006 में 9, 2010 में 8, 2014 में 14, 2018 में 9 तो 2022 में 10 मैडल वेटलिफ्टिंग से ही मिले। अगर ओवरऑल टैली देखी जाए तो वेटलिफ्टिंग के नाम कुल 133 पदक हो गए हैं जोकि शूटिंग (135) से मात्र दो ही कम हैं। इसके अलावा गोल्ड हासिल करने वाले रैसलर्स की संख्या भी बढ़ी है। 2010 में रैसलिंग से 10 गोल्ड मिले थे। वहीं, 2014 और 2018 में यह संख्या 5-5 तक आ गई थी। अब इस साल हमें 6 गोल्ड मिले हैं। इसके अलावा हॉकी, जूडो और लॉन बॉल्स में हम बेहतर हो रहे हैं जबकि बॉक्सिंग में प्रदर्शन खराब हो रहा है। 


कॉमनवैल्थ गेम्स में भारत (ओवरऑल)
गोल्ड 203
सिल्वर 190
ब्रॉन्ज 171
कुल 564

 

ऐसे मिले भारत को पदक

खेल गोल्ड सिल्वर ब्रॉन्ज कुल
कुश्ती 6 1 6 12
टेबल टैनिस 4 1 2 7
वेटलिफ्टिंग 3 3 4 10
बॉक्सिंग 3 1 3 7
बैडमिंटन 3 1 2 6
एथलैटिक्स 1 4 3 8
लॉन बॉल्स 1 1 0 2
पैरा-पावरलिफ्टिंग 1 0 0 1
जूडो 0 2 1 3
हॉकी 0 1 1 2
क्रिकेट 0 1 0 1
स्क्वैश 0 0 2 2
कुल 22 16 23 61
         




महिलाओं की पदक संख्या कम हुई
मेल :
गोल्ड 13 सिल्वर 9 ब्रॉन्ज 13 : कुल 35
फीमेल : गोल्ड 8 सिल्वर 6 ब्रॉन्ज 9 : कुल 23
मिक्स : गोल्ड 1 सिल्वर 1 ब्रॉन्ज 1 : कुल 3
2018 कॉमनवैल्थ गेम्स में जहां पुरुषों को 35 पदक मिले थे तो वहीं, महिलाओं को 28 पदक मिले थे। यानी महिलाओं के पदक की संख्या कम हुई है। इसका एक बड़ा कारण इस बार गेम्स में शूटिंग स्पर्धा का ना होना भी रहा। भारत के पास कई अच्छी महिला शूटर्स हैं जो इस आंकड़े को बेहतर कर सकती थीं। 

 

 

हॉकी, जूडो और लॉन बॉल्स में भी बेहतर रहे
भारतीय टीम ने पहली बार लॉन बॉल्स में इतिहास रख और गोल्ड मैडल हासिल किया। इसी स्पर्धा में एक सिल्वर भी मिला। जूडो से भी हम 2 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज जीतने में सफल रहे जबकि 2018 में हमें एक भी मेडल नहीं मिला था। हॉकी की बात करें तो 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स दोनों टीमें पदक जीतने में नाकाम रही थीं लेकिन इस बार पुरुषों ने सिल्वर तो महिलाओं ने ब्रॉन्ज मैडल अपने नाम किया।

रैसलिंग रही सिरताज फिर से 12 मैडल आए
2018 कॉमनवैल्थ गेम्स में भारत के नाम रैसलिंग में 12 मैडल आए थे। इनमें 5 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज शामिल थे। इस बार भी हमारे हाथ 12 मैडल आए हैं लेकिन गोल्ड की संख्या बढ़ गई है। अब हमें 6 गोल्ड, 1 सिल्वर तो 5 ब्रॉन्ज मैडल मिले हैं।

बॉक्सिंग में कम, बैडमिंटन में आए बराबर मैडल 
बॉक्सिंग में पिछले गेम में 9 मैडल (3 गोल्ड, 3 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज) आए थे। लेकिन इस बार 7 मैडल (3 गोल्ड, 1 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज) ही आए। वहीं, बैडमिंटन में पिछली गेम में 6 मैडल (2 गोल्ड, 3 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज) आए थे। इस बार भी 6 मैडल मिले लेकिन गोल्ड की संख्या 3 हो गई।

 

शूटिंग अभी भी टॉप पर

गेम     गोल्ड     सिल्वर     ब्रॉन्ज    कुल
शूटिंग 63 44 28 135
रैसलिंग 49 39 26 114
वेटलिफ्टिंग 46 51 36 133
बॉक्सिंग  11 13 20 44
बैडमिंटन  10 8 13 31


 

मंजिल है अभी बहुत दूर...
भारतीय प्लेयर्स ने जो रिकॉर्ड कॉमनवैल्थ गेम्स में बनाकर गोल्ड जीते हैं वह विश्व रिकॉर्ड के मुकाबले काफी कमजोर हैं। ओलिम्पिक जैसे कंपीटिशन में कंपीट करने के लिए भारतीय प्लेयर्स को अभी भी काफी मेहनत की जरूरत है। देखें आंकड़े-

मीराबाई चानू (वेटलिफ्टिंग 49 किग्रा.) 
कॉमनवैल्थ गेम्स में : स्नैच 88, क्लीन एंड जर्क 113 किग्रा. 
विश्व रिकॉर्ड है : स्नैच 96, क्लीन एंड जर्क 119 किग्रा. 

जेरेमी लालरिननुंगा (वेटलिफ्टिंग 67 किग्रा.)
कॉमनवैल्थ गेम्स में : स्नैच 140, क्लीन एंड जर्क 160 किग्रा. 
विश्व रिकॉर्ड है : स्नैच 155, क्लीन एंड जर्क 188 किग्रा. 

एल्धोस पॉल (मैंस ट्रिपल जंप)
कॉमनवैल्थ गेम्स में सर्वश्रेष्ठ जंप : 17.03 मीटर
विश्व रिकॉर्ड है : जोनाथन एडवर्ड 18.29 मीटर

 

 

पहली बार जीते
सौरव घोषाल, स्क्वैश सिंगल (गोल्ड)
मुरली श्रीशंकर, लॉन्ग जंप (सिल्वर)
लॉन बॉल्स टीम इवैंट (गोल्ड)
शरथ-अकुला, बैडमिंटन डबल (गोल्ड)
अविनाश साबले, 3000 मीटर स्टीपलचेज (गोल्ड)