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नई दिल्ली : एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता स्टीपलचेस खिलाड़ी अविनाश साबले ने कहा कि ओलंपिक में पदक जीतना आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं है लेकिन इसके लिए रणनीति में बदलाव करना होगा और अभ्यास का बेस अमेरिका की बजाय मोरक्को या यूरोप में कहीं रखना होगा। साबले ने हांगझोउ एशियाई खेलों में स्टीपलचेस में स्वर्ण और 5000 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता। 

महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा के रहने वाले 29 वर्ष के इस खिलाड़ी का लक्ष्य ओलंपिक में भालाफेंक (फील्ड) में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण के बाद स्टीपलचेस (ट्रैक) में भारत को पहला पदक दिलाना है। उन्होंने भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा, ‘पिछले चार पांच साल में मैने प्रदर्शन में जो सुधार किया है, उससे ओलंपिक में स्टीपलचेस में पदक की उम्मीद जगी है। इसके लिए ट्रेनिंग की योजना में बदलाव की जरूरत है। अब सिर्फ टाइमिंग पर फोकस नहीं रखना है। रेस जीतने के लिए रणनीति बनानी पड़ेगी।' 

ओलंपिक के लिए पहले ही क्वालीफाई कर चुके साबले ने कहा, ‘पदक सिर्फ टाइमिंग से नहीं, सटीक रणनीति से मिलते हैं मसलन रेस के दौरान ही फैसले लेना कि कब धीमा भागना है और कब रफ्तार बढ़ानी है।' राष्ट्रमंडल खेल 2022 में 1994 के बाद से पोडियम फिनिश करने वाले पहले गैर कीनियाई खिलाड़ी बने साबले ने कहा कि उन्होंने अपने कोचों, भारतीय एथलेटिक्स महासंघ , भारतीय खेल प्राधिकरण और टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना के अधिकारियों से बात की है कि अभ्यास का बेस अमेरिका की बजाय मोरक्को या यूरोप में कहीं रखा जाए।' 

उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के कोलाराडो में दो साल ट्रेनिंग करके मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। वहां ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं के साथ अभ्यास करके भरोसा बढ़ा है कि हम भी ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं।' उन्होंने कहा, ‘लेकिन अभी कोलाराडो में मार्च तक बर्फ गिरेगी और ऐसे में वहां ट्रेनिंग करना संभव नहीं। ये चार महीने किसी यूरोपीय देश या मोरक्को में अभ्यास करके नयी चीजें सीखने को मिलेंगी क्योंकि अब अमेरिका में ट्रेनिंग में एकरसता हो गई है। जीतने के लिये कोई कोर कसर नहीं रखना चाहता हूं ताकि बाद में कोई मलाल नहीं रहे।' 

साबले ने कहा, ‘मैने कोचों, महासंघ, साइ और टॉप्स से बात की है। मैंने 2020 में मोरक्को के रबात में ट्रेनिंग की है जहां कोर्स ओर सुविधायें अच्छी हैं। मोरक्को में ही इफरान हाई अल्टीट्यूट ट्रेनिंग के लिए अच्छा है जहां मोरक्को के अधिकांश खिलाड़ी अभ्यास करते हैं।' उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक से पहले यूरोप के आसपास टाइम जोन या अनुकूलन के लिए अभ्यास करना सही होगा। विश्व चैम्पियनशिप में नाकाम रहने के बाद से ये जेहन में था और एशियाई खेलों से आने के बाद मैने अधिकारियों से बात की क्योंकि पिछले दो साल से मुझे विश्व स्तर पर पदक जीतने का यकीन था लेकिन पदक नहीं मिला तो कुछ बदलाव करके देखते हैं।' 

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा सारी डायमंड लीग भी यूरोप में होती हैं तो वहां ट्रेनिंग करना फायदेमंद होगा।' तोक्यो ओलंपिक और विश्व चैम्पियन भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा भी यूरोप में अभ्यास करते हैं। चोट के कारण 2018 एशियाई खेलों में भाग नहीं ले सके साबले ने कहा कि वह ओलंपिक के लिए मानसिक तैयारी पर भी फोकस कर रहे हैं। साबले ने कहा, ‘मानसिक तैयारी के लिए योग और ध्यान पर फोकस कर रहा हूं। रेस हारने के बाद अचानक तनाव से उबरने के लिए यह जरूरी है। एशियाई खेलों से पहले किया और फायदा भी मिला। आगे और फोकस करूंगा।' 

उन्होने कहा कि वह दौड़ में भारत का बरसों पुराना ओलंपिक पदक का इंतजार खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मिल्खा सिंह जी, पीटी उषा मामूली अंतर से ओलंपिक पदक से चूक गए थे। मैने अपनी नाकामियों से सबक सीखे हैं और मैं स्टीपलचेस में ओलंपिक पदक लाना चाहता हूं ताकि आने वाली पीढ़ी इस खेल को समझे और सीखे जैसे नीरज चोपड़ा की कामयाबी के बाद भालाफेंक लोकप्रिय हो गया है।'