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पेरिस : भारतीय ओलंपिक दल के सबसे उम्रदराज खिलाड़ी 44 वर्षीय रोहन बोपन्ना (Rohan Bopanna) के पास पिछले ओलंपिक की तरह मजबूत जोड़ीदार नहीं है लेकिन पुरुष युगल में उनके साथ चुनौती पेश करने को तैयार अनुभवी एन श्रीराम बालाजी मुश्किल परिस्थितियों से लड़ना जानते हैं। 

एकमात्र पदक

ओलंपिक में भारत का पहला और एकमात्र टेनिस पदक 1996 में आया, जब लिएंडर पेस (Leander Paes) ने अटलांटा खेलों में एकल कांस्य पदक के साथ इतिहास रचा था। जब महान पेस और महेश भूपति ने एथेंस (2004) और बीजिंग (2008) में एक साथ प्रतिस्पर्धा की थी तब भी भारत ने ओलंपिक पदक नहीं जीता था। 

भारत को लंदन 2012 में भी पदक के सूखे का सामना करना पड़ा जब बोपन्ना ने दिग्गज भूपति के साथ जोड़ी बनाई थी। बोपन्ना 2016 रियो ओलंपिक में पुरुष युगल में पेस और मिश्रित युगल में सानिया मिर्जा के साथ खेले लेकिन उनका पदक का सपना तब भी पूरा नहीं हुआ। ये सभी भारतीय टेनिस के सबसे सफल नाम है और इन सबने देश के लिए कई ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं। 

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बालाजी-बोपन्ना के लिए खेलना मुश्किल 

बालाजी ने हाल ही में युगल में खेलना शुरू किया है। इस भारतीय जोड़ी के लिए पदक जीतना काफी मुश्किल होगा लेकिन उन्होंने रोला गैरां में अभ्यास करने के लिए क्रोएशिया में उमाग टूर्नामेंट को छोड़कर यहां एक साथ अभ्यास करना बेहतर समझा। बोपन्ना ने पेरिस में कुछ यादगार जीत दर्ज की है। उन्होंने इसी स्थान पर अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था। उन्होंने 2017 में गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ मिश्रित युगल में जीत हासिल की थी। 

बोपन्ना ने कहा, ‘यह क्ले कोर्ट टूर्नामेंट के लिए सबसे बड़ा मैदान है। रोलां गैरा में भारत का प्रतिनिधित्व करना बहुत ही खास है। जब भी मैं यहां आता हूं तो वे यादें मेरी मदद करती हैं। यह एक ऐसा टूर्नामेंट है जहां मैंने उन यादों के कारण हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है।' बोपन्ना उम्र के इस पड़ाव पर शानदार लय में है और पिछले कुछ समय से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। वह बेखौफ हो कर खेल रहे हैं और उनके पास दबाव झेलने की शानदार क्षमता है। 

दूसरी ओर बालाजी ने सीमित मौकों पर युगल मैचों में खुद को साबित किया है। उन्होंने डेविस कप में इस्लामाबाद में एकल मैच में दमखम दिखाने के बाद फ्रेंच ओपन में बोपन्ना और मैथ्यू एबडेन की दिग्गज जोड़ी को मैक्सिको के अपने जोड़ीदार मिगुएल रेयेस-वेरेलास के साथ जैसी टक्कर दी वह शानदार था। इन दो प्रदर्शनों ने बोपन्ना को उन्हें जोड़ीदार के तौर पर चुनने के लिए प्रेरित किया। 

डेविस कप से संन्यास ले चुके है बोपन्ना

बोपन्ना डेविस कप से संन्यास ले चुके है और एटीपी टूर पर अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर है। ऐसे में उन्हें बालाजी की तरह किसी जोड़ीदार से अच्छा साथ मिलेगा। बालाजी को उनकी सर्विस और तेज-तर्रार खेल के लिए जाना जाता है। वह बोपन्ना के अनुभव के साथ अच्छे से तालमेल बिठायेंगे। बोपन्ना 43 साल की उम्र में एबडेन के साथ 2023 में ऑस्ट्रेलियाई ओपन जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने थे। वह इसके बाद युगल रैंकिंग में शीर्ष पर भी पहुंचे थे। भारतीय जोड़ी पेरिस में पदक के सपने को पूरा करने के अभियान का आगाज स्थानीय खिलाड़ी एडवर्ड रोजर-वैसलीन और फैबियन रेबौल के खिलाफ करेंगे। 

पुरुष एकल में सुमित नागल पर दारोमदार 

पुरुष एकल में देश का दारोमदार सुमित नागल पर होगा। नागल ने पिछले एक साल में शानदार प्रदर्शन किया। वह साल 2023 की शुरूआत में रैंकिंग में शीर्ष 500 में भी नहीं थे। उन्होंने इसके बाद शानदर प्रदर्शन करते हुए कई उलटफेर किये जिसमें एडवर्ड रोजर-वैसलीन और फैबियन रेबौल जैसे नाम शामिल है। 

ओलंपिक के एकल वर्ग में मुकाबले में ग्रैंड स्लैम विजेता खिलाड़ी है ऐसे में नागल के लिए अपने अभियान को ज्यादा आगे ले जाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। वह अपने अभियान की शुरुआत स्थानीय खिलाड़ी कोरेंटिन मौटेट के खिलाफ करेंगे और अगर शुरुआती बाधा पार करने में सफल रहे तो उनके सामने ऑस्ट्रेलिया के दुनिया के छठे नंबर के खिलाड़ी और विंबलडन क्वार्टर फाइनलिस्ट एलेक्स डि मिनौर की चुनौती होगी।