नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय का बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिये दो कार्यकाल के बीच ब्रेक की जरूरत को खारिज करने का विचार विवादों में घिरी इस खेल संस्था के लिए उम्मीद की किरण के रूप में सामने आया है जिसने कहा कि लोढा समिति की सिफारिशों पर उनका पक्ष सही साबित हुआ। बीसीसीआई के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा , ‘‘ न्यायाधीशों ने हमारी याचिका सुनी और अपना विचार व्यक्त किया जिससे हम काफी सकारात्मक हैं। मुझे अब लगता है कि हमारा (मेरा और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी का) पक्ष सही साबित हुआ। ’’
उनकी यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय के उस फैसले पर आयी है जिसमें उसने कहा कि वह ‘एक राज्य, एक मत’ और बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिये ब्रेक से संबंधित पूर्व फैसले में संशोधन पर विचार करेगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने पूछा, ‘‘दो कार्यकाल के बीच में ब्रेक की क्या जरूरत है जब एक व्यक्ति उसी पद के लिये चुनाव नहीं लड़ रहा है? ’’ न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘लोढा पैनल का सुझाव यह था कि एक पदाधिकारी के दो लगातार कार्यकाल के बीच ब्रेक होना चाहिए। बीसीसीआई के एक विशेष पद के कार्यकाल के बाद अधिकारी किसी अन्य पद के लिये चुनाव लड़ सकता है। इसलिये दोनों के बीच में ब्रेक की कोई जरूरत नहीं है। ’’
कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी और कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी ने सदस्य इकाईयों के साथ मिलकर लोढा सिफारिशों की आपत्तिजनक धाराओं का मुद्दा उठाया। चौधरी ने कहा , ‘‘ हमें अंतिम फैसले का इंतजार करना होगा लेकिन मुझे लगता है कि हमारे लिये उम्मीद की किरण है कि चीजें ठीक हो जायेंगी। अदालत ने इन आपत्तिजनक धाराओं पर हमारी सभी बहस को सुना और हम इसके लिये उनके शुक्रगुजार हैं। ’’