नई दिल्लीः राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पहलवान बजरंग पुनिया ने उन्हें देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए नजरअंदाज किये जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। बजरंग इस समय बेंगलुरु में ट्रेनिंग कर रहे हैं। उन्हें जैसे ही यह खबर मिली कि क्रिकेट कप्तान विराट कोहली और महिला भारोत्तोलक मीराबाई चानू के नाम की खेल रत्न के लिए सिफारिश की गई है, उनका गुस्सा फूट पड़ा।
खेल मंत्री के सामने रखूंगा पक्ष
भारत को 18 वें एशियाई खेलों में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले बजरंग ने फोन पर कहा, ''आखिर किस आधार पर यह पुरस्कार दिया जा रहा है, क्या मेरी उपलब्धियां किसी खिलाड़ी से कम हैं मुझे क्यों नजरअंदाज किया गया है यह बात मेरी समझ से बाहर है।'' बजरंग ने कहा कि वह उनके साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त के शिष्य बजरंग ने कहा, ''मैं अपनी लड़ाई लडूंगा और खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के सामने अपना पक्ष रखूंगा। मैं 19 की रात को दिल्ली लौटूंगा और 20 को खेल मंत्री से मुलाकात करूंगा।''
उन्होंने कहा, ''मैं जब शाम को ट्रेनिंग पर जाने वाला था तभी मुझे यह खबर पता चली। मुझे बहुत हैरानी हुई कि मेरा नाम नजरअंदाज कर दिया गया। हम देश के लिए पदक जीतने के लिए अपनी जान लगाते हैं और हमें ही नजरअंदाज कर दिया जाता है। यदि आप मेरी उपलब्धियों को देखें तो यह किसी अन्य खिलाड़ी से कहीं ज्यादा हैं। मुझे इस फैसले से बहुत दु:ख हुआ है और मैं इस अन्याय के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखूंगा।''
बजरंग ने 2014 में राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में रजत पदक जीते थे और इस साल उन्होंने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने 2013 की विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। वह गत वर्ष एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण विजेता रहे हैं और उन्हें अभी से 2020 के टोक्यो ओलंपिक का सबसे प्रबल पदक दावेदार माना जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में उनके नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छह स्वर्ण सहित 13 पदक हैं।