Edited By ,Updated: 13 Jul, 2015 08:35 AM
उच्चतम न्यायालय ने आज शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने विदेशी मुद्रा नियमन कानून (फेरा) से जुड़े मामले में अपने खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आदेश रद्द करने की अपील की थी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने विदेशी मुद्रा नियमन कानून (फेरा) से जुड़े मामले में अपने खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया शुरू करने का आदेश रद्द करने की अपील की थी। न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने माल्या को मुकदमे की लागत के तौर पर 10 लाख रपए का भुगतान करने का भी आदेश दिया। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने यूबी समूह के प्रमुख की दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी द्वारा जारी समन की कथित रूप से ‘जानबूझकर अवज्ञा ’ करने के मामले में निचली अदालत में आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने संबंधी माल्या की याचिका को खारिज कर दिया था। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप था कि माल्या ने एक दशक से भी पहले अपने उत्पादों के विज्ञापन के लिए कोष जुटाने के मामले में फेरा के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। एजेंसी माल्या से विदेश में किंगफिशर ब्रांड के विज्ञापन के लिए दिसंबर 1995 में लंदन की कंपनी बेनेटन फार्मूला लिमटेड के साथ हुए अनुबंध के संबंध मंे पूछताछ करना चाहती थी।
माल्या ने ब्रिटेन की कंपनी को लंदन और कुछ यूरोपीय देशों में 1996, 1997 और 1998 में फार्मूला वन विश्व चैंपियनशिप के दौरान किंगफिशर का लोगो प्रदर्शित करने के लिए कथित तौर पर 2,00,000 डालर का भुगतान किया था। धन का भुगतान कथित तौर पर फेरा के नियमों का उल्लंघन कर बिना आरबीआई की मंजूरी के किया गया था।