Edited By ,Updated: 17 Jul, 2015 12:41 PM
अकसर देखा जाता है कि किसी भी प्रोड्क्ट को बेचने से पहले लोगों के मन में एक विश्वास बनाना जरुरी ..
नई दिल्ली: अकसर देखा जाता है कि किसी भी प्रोड्क्ट को बेचने से पहले लोगों के मन में एक विश्वास बनाना जरुरी होता है कि वह प्रोड्क्ट उनके लिए उचित है या नहीं। इस विश्वास के बाद ही लोग उसे खरीदने के लिए राजी होते है। उसी तरह स्पोर्ट्स कपंनियां भी अपने प्रोड्क्ट की प्रोमोशन के लिए पहले वस्तु एथलीट का सहारा लेते है ताकि उन्हें देख कर खरीददार भी उस प्रोड्क्ट को खरीदना शुरु करें।
उसी तरह स्पोट्स शू कपंनी चाहे वह नाइके, प्यूमा, रीबॉक, एडिडास हो वह भी अपने शू बेचने के लिए सबसे पहले एथलीट का सहारा लेना पंसद करती है कपंनी का भी यही मानना है कि अगर किसी प्रोड्क्ट को सेल करना है उसके लिए सिर्फ सेलिंग टीम होना जरुरी नहीं है एथलीट भी काफी सहायक होते है,ताकि उनके बैंड की बढ़ौतरी हो और उपभोक्ता का भी यही सोचना है कि अगर कोई एथलीट वह शू इस्तेमाल कर रहा है तो वह काफी आरामदायक है क्यों कि अगर कोई एथलीट किसी बैंड का शू खरीदते है तो वह काफी सोच समझ कर खरीदते है ताकि उससे वह मैदान में आसानी से दौड़ सके। इन सबसे यह अदांज लगाया जा सकता है कि किसी वस्तु को बेचने के लिए एक एथलीट भी काफी सहायक होता है सिर्फ सेलिंग टीम ही नहीं।