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नई दिल्ली : भारतीय हॉकी टीम के मिडफील्डर मनप्रीत सिंह ने कहा कि 41 वर्षो के लंबे इंतजार के बाद वर्ष 2020 में टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना उनके करियर में अब तक का सबसे सुखद और यादगार लम्हा था। पंजाब के मिट्ठापुर के मिडफील्डर मनप्रीत सिंह ने अपने परिवार के भरण-पोषण के साधन के रूप में हॉकी खेलना शुरू किया और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह भारतीय हॉकी टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएंगे।


मनप्रीत ने 10 फरवरी को भुवनेश्वर के कलिंगा हॉकी स्टेडियम में अपना 350 मैच खेला था। एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2023/24 के पहले मैच में भारत ने स्पेन से मुकाबला किया था। मनप्रीत ने अपने करियर के 5 सबसे यादगार क्षणों को याद करते हुए कहा कि टोक्यो में 2020 ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतना सपने के सच होने जैसा था, जहां हमने जर्मनी को 5-4 से हराया था।

 

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उन्होंने कहा कि ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना एक अविश्वसनीय एहसास था। जब से मैंने राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना शुरू किया तब से यही मेरा सपना रहा है। जब हमने आखिरकार 41 वर्षों के बाद हॉकी में ओलंपिक पदक जीता तो मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगी।


मनप्रीत का दूसरा सबसे यादगार पल 2014 में कोरिया में आयोजित 17वें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना था। भारत ने शूटआउट में पाकिस्तान को 4-2 से हराकर जीत हासिल की, निर्धारित समय समाप्त होने तक दोनों टीमें 1-1 से बराबरी पर थीं। मिडफील्डर का तीसरा सबसे यादगार क्षण ग्लासगो, स्कॉटलैंड में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल 2014 में रजत पदक जीतना था। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 0-4 से हार के कारण भारत स्वर्ण पदक से चूक गया।


31 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि बांग्लादेश में 2017 में आयोजित पुरुष एशिया कप में भारत ने फाइनल में मलेशिया को 2-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। यह टूर्नामेंट मेरे दिल के भी करीब है क्योंकि यह पहला पदक था जो टीम ने मेरे कप्तान रहते हुए जीता था। यह उन सभी कार्यों का प्रमाण था जो मैंने वर्षों में किए थे।


मनप्रीत ने अपने करियर में अब तक 44 गोल किए हैं, लेकिन वह एशियन गेम्स हांगझू 2022 के फाइनल में जापान के खिलाफ अपने गोल को सूची में सबसे ऊपर मानते हैं। मनप्रीत के गोल के बाद, भारत ने जापान पर 5-1 से जीत हासिल की और पेरिस ओलंपिक के लिए सीधी योग्यता अर्जित की। उन्होंने कहा कि मुझे याद है, जापानी कीपर ने गोल पर एक शॉट मारा और गेंद शूटिंग सकर्ल के किनारे पर मेरे पास गिरी। एशियाई खेलों से पहले, मुझे लगा कि मैं उतना प्रभाव नहीं डाल पा रहा हूं जितना मैं जानता था, लेकिन मेरे प्रदर्शन में सुधार होता रहा और फाइनल में इस तरह का स्कोर करने से मेरे दिमाग को आराम मिला।