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ग्रेटर नोएडा : भारत के ड्रिफ्ट चैंपियन के रूप में जाने जाने वाले सनम सेखों ने पहली ड्रिफ्ट चैलेंज में दबदबा बनाए रखा और देश की पहली तीन श्रेणियों में से दो में निर्विरोध जीत हासिल की। इसके अलावा मुदित ग्रोवर भी ड्रिफ्ट चैलेंज की सभी तीन श्रेणियों में पोडियम पर रहे। सेखों ने अपनी विशेष रूप से तैयार की गई लेक्सस जीएस 300 को कोनों के चारों ओर साइड में घुमाते हुए संतुलित और नियंत्रण में रखा। इसी तरह मुदित ने अपनी बीएमडब्लू ई46 में टायर-स्मोकिंग कार नियंत्रण में अपना कौशल दिखाया।

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चंडीगढ़ के ड्राइवर ने 744 अंकों के साथ डी1 श्रेणी जीती, उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जुगराज सिंह भुर्जी ने बीएमडब्ल्यू एम3 चलाकर केवल 476 अंक हासिल किए। मुदित ग्रोवर ने 286 अंकों के साथ बीएमडब्ल्यू में तीसरा स्थान हासिल किया। सेखों ने 460 अंक बनाए और मुदित ग्रोवर (262 अंक) और मुग्धा ग्रोवर के साथ मर्सिडीज सी200 के (156 अंक) चलाकर डी2 श्रेणी भी जीत ली और पोडियम पूरा किया।

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जापान से तानिगुची अत्सुशी, थाईलैंड से तनाकोर्न लेर्टयाओवर्ट और भारत से एलिस्टेयर ने जज की भूमिका निभाई और ड्राइवरों की लाइन, कोण, शैली और गति सहित कई मापदंडों को परखा। टायर की चौड़ाई के आधार पर तीन श्रेणियां - डी1, डी2 और ओपन रखी गई थीं। D1 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाली कारें 215-255 मिमी चौड़े टायरों पर चल रही थीं। डी2 श्रेणी में अधिकतम टायर की चौड़ाई 205 मिमी थी, जबकि सभी प्रतिस्पर्धी, चाहे उनके टायरों की चौड़ाई कुछ भी हो, ओपन श्रेणी के लिए पात्र थे।

 

 

बता दें कि ड्रिफ्टिंग एक मोटरस्पोर्ट अनुशासन है जो कौशल, सटीकता और कार नियंत्रण पर टिका हुआ है। इसमें ड्राइवरों को अपनी कारों को एक स्लाइड में चलाना और तेज गति में एक कोने से साइड में जाने के लिए ओवरस्टीयर का उपयोग करना शामिल है। उनके लिए धुएं के बीच पहियों को देखना आसान नहीं होता लेकिन अपने अनुभव के आधार पर वह इसमें सफलता हासिल करते हैं।