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नई दिल्लीः चक्का फेंक के शीर्ष एथलीट विकास गौड़ा ने 15 साल से अधिक समय तक प्रतिस्पर्धी स्तर पर खेलने के बाद आज संन्यास ले लिया । इस दौरान वह राष्ट्रमंडल खेलों की इस स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले और एकमात्र भारतीय पुरूष एथलीट बने। चार बार के ओलंपियन का यह फैसला हालांकि चौंकाने वाला नहीं है क्योंकि पिछले साल भुवनेश्वर में एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने क बाद उन्होंने किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिरकत नहीं की है। वह पांच जुलाई को 35 साल के हो जायेंगे। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने अपने ट्विटर पेज पर उनके संन्यास की घोषणा की। विकास ने एएफआई को पत्र लिखकर अपने फैसले से अवगत कराया।            

विकास बना चुके हैं राष्ट्रीय रिकाॅर्ड
मैसूर में जन्में विकास का परिवार उनके छह साल के होने से पहले ही अमेरिका के मैरीलैंड में बस गये थे। उनके पिता भी पूर्व एथलीट रह चुके हैं और 1988 ओलंपिक में राष्ट्रीय कोच थे। विकास ने 2012 में 66.28 मीटर की दूरी से राष्ट्रीय रिकाॅर्ड अपने नाम किया था और यह अब भी उनके नाम ही है। उन्होंने 2013 और 2015 एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। एशियाई खेलों में वह 2010 में कांस्य और 2014 में रजत पदक जीत चुके हैं। उन्होंने 2004, 2008, 2012 और 2016 ओलंपिक में हिस्सा लिया था। वह 2012 लंदन ओलंपिक में ही फाइनल दौर में पहुंचने में सफल रहे थे।            

इंडोनेशिया में होने वाले आगामी एशियाई खेलों से एक महीने पहले ही उन्होंने संन्यास की घोषणा की लेकिन वह पिछले कुछ समय से अपने मनमाफिक प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। उन्होंने हाल में राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं लिया था क्योंकि एएफआई ने एक कड़ा नियम बनाया था कि जो राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में हिस्सा नहीं लेंगे उन्हें बहु स्पर्धा टूर्नामेंट में भाग लेने की अनुमित नहीं दी जायेगी क्योंकि यह राष्ट्रीय प्रतियोगिता चयन ट्रायल का काम करती है। पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप के लिये भी उन्हें प्रतियोगिता से पहले अमेरिका से यहां भुवनेश्वर आने को कहा गया था ताकि वह चयन ट्रायल में हिस्सा ले सकें।