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नई दिल्ली: आज हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद जी की पुण्यतिथि है। वह 3 ओलंपिक गोल्ड मेडल और 400 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले महान खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपने खेल से इतना प्रभावित किया कि उनके जन्मदिन को खेल दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की गई जो आज तक कायम है। आइए नजर डालते हैं इनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों पर-


हिटलर के प्रस्ताव को ठुकराया
1936 में बर्लिन ओलिंपिक के हॉकी फ़ाइनल मुकाबले में मेज़बान जर्मनी और भारत आमने-सामने थे। ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता और सेना में बड़ा ओहदा देने की पेशकश की। हालांकि ध्यानचंद ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

हॉकी में लगे है चुंबक
मेजर ध्यानचंद के गेम को देखते हुए ऐसी अफवाह उड़ी कि उनकी हॉकी में कहीं चुंबक तो नहीं लगा है, जिससे बॉल हॉकी में चिपक जाती हो। हॉलैंड में लोगों ने उनकी हॉकी स्टिक भी तुड़वा दी थी, लेकिन यह अफवाह झूठी निकली।

चांद की रोशनी में खेलते थे हॉकी
उनका नाम पहले ध्यान सिंह था और 14 साल की उम्र में ही हॉकी खेलने लगे थे। वह चांद की रोशनी में ही हॉकी की प्रैक्टिस करते थे। इससे उनके नाम के पीछे चांद जुड़ गया, जो बाद में ध्यानचंद हो गया।