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दोहा : अप्रैल में जब विश्वकप के ड्रा डाले गए थे तो सभी की निगाहें अल बायत स्टेडियम में जर्मनी और स्पेन के बीच होने वाले मुकाबले पर टिकी थी। इन दो पूर्व विश्व चैंपियन के बीच होने वाला यह मुकाबला आठ महीने बाद और अधिक महत्वपूर्ण बन गया है। 

इन दोनों को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन जर्मनी पहले मैच में जापान से हार के कारण बाहर होने के कगार पर खड़ा है। उसे अपनी उम्मीदें जीवंत रखने के लिए रविवार को स्पेन पर हर हाल में जीत दर्ज करनी होगी। स्पेन से हारने पर जर्मनी को लगातार दूसरे विश्वकप में पहले दौर में ही बोरिया बिस्तर समेटना पड़ सकता है। जर्मनी की हार तथा जापान और कोस्टारिका के बीच मैच कम से कम ड्रॉ होने पर चार बार का चैंपियन बाहर हो जाएगा। 

दूसरी तरफ स्पेन नॉकआउट में अपनी जगह सुरक्षित करना चाहेगा। उसने अपने पहले मैच में कोस्टारिका को 7-0 से हराया था। जर्मनी के लिए संकेत उत्साहजनक नहीं है। उसने स्पेन के खिलाफ जो आखिरी मैच दो साल पहले नेशंस लीग में खेला था उसमें उसे 6-0 से हार का सामना करना पड़ा था। जर्मनी ने अपना चौथा विश्वकप खिताब 2014 में ब्राजील में जीता था लेकिन 2018 में वह ग्रुप चरण से ही बाहर हो गया था। 

अगर इस बार भी चार साल पहले की कहानी दोहराई जाती है तो यह पहला अवसर होगा जबकि जर्मनी लगातार दो विश्व कप में नॉकआउट में जगह नहीं बनाएगा। स्पेन ने 2010 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्वकप में अपना आखिरी खिताब जीता था जबकि 2018 में वह अंतिम 16 से आगे नहीं बढ़ पाया था। यदि स्पेन जर्मनी को हरा देता है और उधर कोस्टारिका जापान को नहीं हरा पाता है तो फिर वह अंतिम 16 में पहुंच जाएगा। कोस्टारिका पर बड़ी जीत के बाद स्पेन की टीम जर्मनी के खिलाफ बढ़े मनोबल के साथ मैदान पर उतरेगी। 

स्पेन के कोच लुइस एनरिक ने कहा, ‘पिछले मैच के परिणाम से हमारा काफी मनोबल बढ़ा है लेकिन अब हमारा सामना जर्मनी से है जिसे जीत की सख्त दरकार है।' जर्मनी के विंगर लेरॉय साने इस मैच में वापसी कर सकते हैं। वह घुटने की चोट के कारण पिछले मैच में नहीं खेले थे। विश्व फुटबॉल की इन दो दिग्गज टीमों के बीच विश्वकप में पांचवां मुकाबला होगा। इन दोनों के बीच विश्वकप में आखिरी मैच 2010 में सेमीफाइनल में खेला गया था जिसे स्पेन ने 1-0 से जीता था।