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कू ऐप ने भारत और प्रो कबड्डी ने एशिया में बढ़ाई कबड्डी की लोकप्रियता 

स्पोर्ट्स डेस्क : पिछले कुछ सालों में भारत में कबड्डी के प्रति क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है। कबड्डी को मिट्टी से जुड़ा खेल माना जाता है, जिस कारण इसकी लोकप्रियता शुरू से ही ग्रामीण इलाकों में अधिक देखने को मिली है। लेकिन डिजिटल युग और सोशल मीडिया रिवोल्यूशन के बीच भारत में आईपीएल के बाद कबड्डी देश का दूसरा सबसे अधिक देखे जाने वाला लीग बना हुआ है और इसकी सबसे अहम वजह 'प्रो कबड्डी लीग' को माना जा सकता है। 

 

प्रो कबड्डी लीग ने भारत के सदियों पुराने इस खेल की लोकप्रियता को टियर दो और तीन शहरों से बाहर निकालकर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता जैसे मैट्रो शहरों तक फैला दिया है। वहीं, अब जब प्रो कबड्डी लीग अपना 9वां सीजन लेकर आ रहा है तब इसके बढ़ते दायरे और उसके पीछे काम करने वाले माध्यमों की चर्चा भी जोरों से हो रही है, जिनमें से एक देश का पहला स्वदेशी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप भी है, जिसने न सिर्फ कबड्डी बल्कि इससे जुड़े कोच और खिलाडियों को भी नई पहचान दी है। 

एथलीट्स ने माना कू को पसंदीदा प्लेटफॉर्म, मिल रहा तगड़ा यूजर-बेस

विराट कोहली जैसे स्टार बल्लेबाज से लेकर पीवी सिंधु जैसी बेमिसाल बैडमिंटन प्लेयर्स आदि कू ऐप पर अपने फैंस और चाहने वालों से रूबरू हो रहे हैं, लेकिन इस स्वदेशी ऐप का सबसे ज्यादा फायदा कबड्डी जैसे खेल और इससे जुड़े खिलाडियों को हुआ है। प्रो कबड्डी के आधिकारिक कू अकाउंट की बात हो या यूपी, पटना, हरियाणा, गुजरात या बंगाल जैसी टीमों से जुड़े खिलाड़ियों के अकाउंट, कू इन हरफनमौला एथलीट्स के लिए सबसे मुफीद मंच साबित हुआ है। 

10 भारतीय भाषाओं में संचालित हो रहे इस बहुभाषी कू ऐप को देशभर के एथलीट, अपनी जुबान में प्रशंसकों के साथ जुड़ने, मैचों और अभ्यास सत्रों की लाइव अपडेट शेयर करने तथा सोशल मीडिया में अपनी जबरदस्त पैठ स्थापित करने के लिए, सबसे असरदार टूल के रूप में देखते हैं। अपनी मजबूत भाषा क्षमताओं के कारण, अधिकांश कबड्डी एथलीटों ने कू को अपने पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में अपनाया है क्योंकि इससे उन्हें अपनी मूल भाषा में अपने फैंस और दर्शकों से जुड़ने में मदद मिलती है। 

उल्लेखनीय है कि एथलीट अक्सर हिंदी में कू करते हैं और जनता के साथ अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए मंच के एमएलके फीचर का लाभ उठाते हैं। एमएलके के अलावा, कू एथलीट्स को एक यूजर-बेस प्रदान करता है, जिसमें भारत के ऐसे लाखों यूजर्स पहली बार शामिल होते हैं, जिनके लिए कबड्डी एक प्रिय खेल है। ये नए और युवा यूजर्स, कू ऐप के माध्यम से अपने पसंदीदा कबड्डी सितारों के साथ, अपनी मूल भाषा में रीयल टाइम इंटरेक्शन कर सकते हैं।

अन्य ऐप्स की तुलना में एथलीट्स को कू पर सबसे अधिक प्यार  

चंडीगढ़ और बेंगलुरु के लिए खेल चुके एथलीट अजय मलिक अन्य किसी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर मौजूद नहीं हैं, लेकिन कू ऐप पर उनके फैंस की संख्या 63 हजार से भी अधिक है। वहीं, बेंगलुरु बुल्स के कप्तान पवन सेहरावत, जो दूसरे सोशल प्लेटफॉर्म पर इतने सक्रिय नहीं हैं, लेकिन कू ऐप पर उनके प्रशंसकों की संख्या 83 हजार को भी पार कर गई है, जबकि यूपी के बुलंदशहर से आने वाले स्टार प्लेयर अभिषेक सिंह (55.3K) जैसे खिलाड़ियों को भी कू के दर्शकों से भी खूब सराहना मिली है। वहीं, अगर टूर्नामेंट और इसमें शामिल टीमों के फॉलोअर्स की बात करें तो प्रो कबड्डी लीग (40k), यू मुम्बा (2,04,099), यूपी योद्धा (1,67,511), पटना पाइरेट्स (1,03,731), आदि को दूसरी किसी माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट से अधिक और अच्छा यूजर रिस्पॉन्स देखने को मिलता है। 

विदेशी प्लेयर्स को भी आकर्षित कर रहा स्वदेशी मंच 

इसमें कोई दो राय नहीं कि कबड्डी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में प्रो कबड्डी की सबसे अहम भूमिका रही है। ऐसे ही इस खेल से जुड़े खिलाड़ियों को एक मजबूत फैन बेस देने का काम कू ऐप ने किया है। जिस प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत गांव के इस खेल को व्यावसायिक करने के लिए हुई थी, वो अब एक बड़ा ब्रांड बन चुका है। लीग में अब कई देशों के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं और यहां तक कि अफ्रीकन प्लेयर्स की संख्या भी बढ़ रही है। धीरे-धीरे इस लीग की लोकप्रियता को बढ़ाने में स्वदेशी ऐप की भी महत्वपूर्ण भूमिका दर्ज की जाती है, जिसने खेल और खिलाडियों, दोनों को उनके टारगेट ऑडिएंस से मिलाने में उम्मीद से बेहतर काम किया है। 

कू ऐप पर खिलाड़ियों की लोकप्रियता के साथ प्रो कबड्डी लीग की लोकप्रियता भी हर साल बढ़ती गई है और इसी वजह से अब ये गेम कई देशों में खेला जाने लगा है। हालांकि कू ऐप ने भारत और प्रो कबड्डी ने एशिया में, कबड्डी की प्रसिद्धि को दिनोंदिन बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।