नई दिल्ली : पूर्व पाकिस्तानी स्पिनर दानिश कनेरिया ने लंबे समय से विवादों और बहसों में घिरे एशिया कप के कार्यक्रम पर अपनी राय साझा करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान मुकाबला संभवतः एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) द्वारा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से मंजूरी मिलने के बाद हुआ है। एसीसी द्वारा शनिवार को घोषित विस्तृत कार्यक्रम के अनुसार भारत और पाकिस्तान 14 सितंबर को एशिया कप के ग्रुप चरण के मुकाबले में आमने-सामने होंगे।
यह घोषणा भारतीय चैंपियंस टीम से जुड़े एक बेहद संवेदनशील प्रकरण के कुछ ही दिनों बाद आई है, जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स में पाकिस्तान चैंपियंस के खिलाफ निर्धारित मुकाबले से अपना नाम वापस ले लिया था। कनेरिया ने कहा, '(दोनों देशों के बीच) क्रिकेट होना चाहिए... लोग इस बारे में इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि हाल ही में एक घटना हुई थी जहां वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ़ लीजेंड्स में भारत-पाकिस्तान का मैच होना था, लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटरों ने मैच का बहिष्कार कर दिया। इस कदम से संकेत मिला कि शायद भारत भविष्य में एशिया कप या आईसीसी टूर्नामेंट जैसे आयोजनों में भी पाकिस्तान के साथ नहीं खेलेगा। इस बहिष्कार ने सुर्खियां बटोरीं और इसके बाद कई बयान आए, जिससे यह धारणा बनी कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैचों में हिस्सा नहीं लेगा।'

उन्होंने कहा, 'लेकिन फिर एक ऑनलाइन बैठक हुई जिसमें पीसीबी अध्यक्ष और एशियाई क्रिकेट परिषद के प्रमुख मोहसिन नकवी और बीसीसीआई के प्रतिनिधि मौजूद थे। एसीसी को बीसीसीआई से हरी झंडी मिल गई होगी, इसीलिए भारत-पाकिस्तान मैच निर्धारित किया गया।' कनेरिया का मानना है कि बीसीसीआई को इतने बड़े मुकाबले के लिए हामी भरने से पहले और समय लेना चाहिए था और शीर्ष नेतृत्व से सलाह लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि बीसीसीआई को इस पर और विचार करना चाहिए था और कोई फैसला लेने से पहले समय लेना चाहिए था। दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए - कभी हां, कभी ना।'
कनेरिया ने कहा, 'अगर आप देशभक्ति की बात कर रहे हैं, तो आपको उस पर लगातार कायम रहना होगा। अभी से लेकर उस मैच वाले दिन तक, आप देखेंगे कि प्रचार और हंगामा बढ़ता ही जाएगा। और फिर लोग क्रिकेटरों के पहले के रुख पर सवाल उठाने लगेंगे।' उन्होंने कहा, 'या तो साफ कह दीजिए कि खेल और राजनीति अलग-अलग हैं, या फिर हर मोर्चे पर अपना रुख मजबूत बनाए रखिए। कोई दोहरा मापदंड नहीं। अगर ना है, तो ना ही रहने दीजिए। अगर हां है, तो हां कह दीजिए और उस पर अड़े रहिए।'

कनेरिया ने कहा कि किसी टूर्नामेंट में भारत की अनुपस्थिति हर चीज को प्रभावित करती है - टीवी अधिकारों और प्रायोजनों से लेकर वैश्विक दर्शकों तक। उन्होंने कहा, 'आखिरकार, बीसीसीआई को इससे क्या फर्क पड़ता है? वे क्रिकेट से होने वाले राजस्व का लगभग 99 प्रतिशत कमाते हैं। शीर्ष क्रिकेट खेलने वाले देश - ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड - सभी भारत के साथ खेलना चाहते हैं क्योंकि उनके खिलाड़ी आईपीएल का हिस्सा हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे आकर्षक लीग है। मान लीजिए: अगर भारत भाग नहीं लेता है, तो टीवी अधिकार नहीं बिकते, विज्ञापन कम हो जाते हैं, और दर्शकों की संख्या कम हो जाती है। सिर्फ एक भारत-पाकिस्तान मैच ही दर्शकों की संख्या में भारी वृद्धि कर देता है।'
उन्होंने अंत में कहा कि बीसीसीआई को एक पारदर्शी और सुसंगत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'जब आप सत्ता में होते हैं, तो आपको यह समझने और परिभाषित करने में सक्षम होना चाहिए - या तो क्रिकेट अलग है, या नहीं। अगर देशभक्ति मायने रखती है, तो यह सुसंगत होनी चाहिए। एक दिन के लिए नहीं, एक हफ्ते के लिए नहीं, बल्कि हमेशा। आप हर कुछ हफ्तों में अपना रुख नहीं बदल सकते। एक बार फैसला हो जाने के बाद उस पर अडिग रहें। यही बात मुझे समझ नहीं आई - यह फैसला इतनी जल्दी क्यों लिया गया?'