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स्पोर्ट्स डेस्क : युवा मामले और खेल मंत्रालय ने अपने बजट आवंटन में 2022-2023 के संशोधित बजट की तुलना में 724.72 करोड़ रुपए की वृद्धि देखी, जो 2023-2024 के लिए 3389.56 करोड़ रुपए का अब तक का सबसे अधिक आवंटित बजट है।

खेलो इंडिया, एक ऐसी योजना जो एथलीटों के साथ काम करती है और जमीनी स्तर पर उनका पोषण करती है, को 1045 करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ। यह वित्तीय वर्ष से 10 करोड़ रुपए कम है। लेकिन अगर हम पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों को देखें तो आवंटित राशि में 400 करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि देखी गई है। यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे किस तरह से देखते हैं। यदि संशोधित अनुमान पिछले वर्ष की तर्ज पर आता है तो इसमें देखने के लिए बहुत कुछ नहीं है। 

राष्ट्रीय खेल महासंघ को दी जाने वाली सहायता 45 करोड़ रुपए बढ़ाकर 325 करोड़ रुपए की गई है। भारतीय खेल प्राधिकरण ने भी अपने आवंटन में वृद्धि देखी जोकि 785.52 करोड़ रुपए हो गई है। इससे पहले वित्तीय वर्ष 22 में 749.43 करोड़ थी। स्पोर्ट्स पर्सन्स को प्रोत्साहन के लिए 45.00 करोड़ का बजट आवंटन प्राप्त हुआ है जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.00 करोड़ कम है। 

पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के लिए 30 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जो कि खेलो इंडिया को आवंटित पूरे बजट के अंतर्गत आता है और 1 करोड़ रुपए वह आंकड़ा था जो संशोधित अनुमानों में सामने आया। इस साल भी आवंटन में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

अन्य स्वायत्त निकायों जैसे नेहरू युवा केंद्र संगठन और राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान जिसमें SAI भी शामिल है, को आवंटित बजट INR 100 करोड़ से अधिक बढ़कर 1435.58 करोड़ रुपए कर दिया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले वर्ष के लिए वास्तविक आवंटित राशि 1188 करोड़ रुपए थी, लेकिन संशोधित अनुमान 1316.13 करोड़ रुपए था। 

कुल बजट में वृद्धि स्वागत योग्य कदम है, लेकिन अगर चीन की तरह भारत खेलों महाशक्ति बनने का लक्ष्य रखता है तो यह अभी भी अपेक्षा से बहुत दूर है। टोक्यो ओलंपिक से पहले चीन का लगभग 10 बिलियन युआन खर्च करने का मकसद है। पेरिस ओलंपिक अब अगला बड़ा लक्ष्य है और यह देखना बाकी है कि भारत कितना अच्छा प्रदर्शन करता है।