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अमृतसर : भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने रविवार को फैसला किया कि वह पेरिस ओलंपिक के बाद एलीट खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय शिविर का आयोजन नहीं करेगा और शीर्ष खिलाड़ियों की देखरेख के लिए सार्वजनिक और निजी इकाइयों के लिए दरवाजे खोलेगा। 

एएफआई अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने यहां महासंघ की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के अंतिम दिन कहा, ‘हमने पेरिस (अगले साल) के बाद सीनियर राष्ट्रीय ट्रेनिंग शिविर खत्म करने का फैसला किया है। हमने खेल मंत्रालय को भी इसकी सूचना दे दी है जिसने हमारे कदम की सराहना की है।' उन्होंने कहा, ‘साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण) के एनसीओई (राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों) में इतनी सारी अच्छी सुविधाएं हैं। रिलायंस, जेएसडब्ल्यू, टाटा और अन्य निजी इकाइयों में भी अच्छी सुविधाएं हैं। उन्होंने भारी भरकम निवेश किया है और विदेशी कोच को नियुक्त किया है।' 

सुमारिवाला ने कहा, ‘वे अपनी सुविधाओं पर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे सकते हैं। निजी इकाइयां ही नहीं बल्कि सेना खेल संस्थान, रेलवे, वायुसेना, नौसेना, ओएनजीसी, सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य इकाइयां और यहां तक कि राज्य सरकारें भी अपने खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे सकती हैं।' उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पांच से 10 साइ केंद्र हैं लेकिन हमारे पास ऐसे 200 केंद्र हो सकते हैं (सार्वजनिक और निजी इकाइयों की मदद से ट्रेनिंग के लिए)। खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए शिविर की जगह अपने घरों में रह सकते हैं।' 

एएफआई के इस कदम का मतलब है कि नीरज चोपड़ा, मुरली श्रीशंकर और अविनाश साबले जैसे शीर्ष खिलाड़ी पेरिस 2024 ओलंपिक के बाद उसके तत्वावधान में ट्रेनिंग नहीं करेंगे लेकिन महासंघ उनकी प्रगति की निगरानी करता रहेगा। खिलाड़ी अब सीधे तौर पर सार्वजनिक और निजी इकाइयों के अंतर्गत आएंगे जिसमें ओडिशा, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसी राज्य सरकारें भी शामिल हैं। एएफआई हालांकि कोच की टीम बनाएगा और खिलाड़ियों पर नजर रखेगा। एएफआई अभी लगभग 130 से 150 एलीट खिलाड़ियों के लिए 50 से 60 सहयोगी स्टाफ के मार्गदर्शन में केंद्रीयकृत राष्ट्रीय ट्रेनिंग शिविर का आयोजन करता है। 

इसका आयोजन मुख्य रूप से एनआईएस पटियाला, बेंगलुरू के साइ केंद्र और तिरूवनंतपुरम में एलएनसीपीई में होता है। चोपड़ा अधिकतर भारत के बाहर ट्रेनिंग करते हैं जबकि श्रीशंकर को उनके पिता एस मुरली केरल में ट्रेनिंग देते हैं। दोनों को जेएसडब्ल्यू समर्थन देता है। सुमारिवाला ने कहा कि इसके पीछे का विचार शिविरों का विकेंद्रीकरण करना और इन्हें पूरे देश में फैलाना है जिससे कि खिलाड़ी अपने घर के करीब ट्रेनिंग ले सकें। हालांकि जूनियर राष्ट्रीय ट्रेनिंग शिविर महासंघ के सहयोग से एनसीओई में ही होंगे। 

एएफआई ने साथ ही कहा कि वह पुरुष चार गुणा 400 मीटर, महिला चार गुणा 400 मीटर और मिश्रित चार गुणा 400 मीटर रिले टीम की ट्रेनिंग अपने अंतर्गत जारी रखेगा। एएफआई के नीति आयोग के अध्यक्ष ललित भनोट ने कहा, ‘‘तीन रिले टीम एएफआई के सीधे निरीक्षण में होंगी क्योंकि रिले टीम के सदस्य अलग अलग ट्रेनिंग नहीं कर सकते और उन्हें आपसी समन्वय की जरूरत होती है। हम प्रतियोगिताओं का आयोजन भी जारी रखेंगे।' 

एएफआई ने कहा कि वह विदेशी अनुभव दौरों के दौरान भी खिलाड़ियों की जिम्मेदारी लेगा। महासंघ के राष्ट्रीय शिविर का आयोजन नहीं करने का मतलब है कि खिलाड़ियों के डोप परीक्षण पर नियंत्रण कम होगा। एएफआई ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि इस फैसले के विपक्ष की तुलना में पक्ष में चीजें अधिक हैं। सार्वजनिक और निजी इकाइयों के ट्रेनिंग की जिम्मेदारी लेने से खिलाड़ियों के पूल में भी इजाफा होगा जो अभी 100 से 150 खिलाड़ियों के बीच है। 

पूर्व दिग्गज खिलाड़ी और एएफआई की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंजू बॉबी जॉर्ज ने कहा कि एएफआई का यह फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है। विश्व चैंपियनशिप 2003 की कांस्य पदक विजेता पूर्व लंबी कूद खिलाड़ी अंजू ने यहां एजीएम के इतर कहा, ‘‘खिलाड़ियों की पढ़ाई बड़ी चिंता की बात है। अगर कोई खिलाड़ी एनआईएस या बेंगलुरू और तिरूवनंतपुरम में साल में 11 महीने ट्रेनिंग करता है तो उसके लिए पढ़ाई करना बेहद मुश्किल हो जाता है। अब वे अपने घर के करीब ट्रेनिंग कर सकते हैं और पढ़ाई भी जारी रख सकते हैं।' 

उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों ही नहीं बल्कि कोच को भी अपने परिवार से दूर आना पड़ता है और वे साल में 11 महीने राष्ट्रीय शिविर में रहते हैं। वे भी अपने घर के करीब ट्रेनिंग शिविर से जुड़ सकते हैं।' अंजू ने स्वीकार किया कि शुरुआती महीनों में कुछ समस्याएं आ सकती हैं लेकिन यह फैसला भारतीय एथलेटिक्स को आगे ले जाएगा।