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मुंबई। अभिनेता ईशान खट्टर और सिद्धांत चतुर्वेदी भूत भगाने वाले घोस्ट बस्टर के किरदार में होंगे। दोनों अभिनेताओं का सामना देश के कोने-कोने की चुड़ैलों, डायनों से होगा, लेकिन कहानी में असल ट्विस्ट भूत के किरदार वाली कैटरीना कैफ से आएगा। डायलॉग डिलीवरी हंसी से लोटपोट करेगी, जिससे दर्शकों को यह फिल्म घोस्ट बस्टर नहीं बल्कि स्ट्रेस बस्टर का अहसास करवाएगी। खुद अभिनेता ईशान और सिद्धांत का भी यही कहना है कि, फिल्म दर्शकों का सौ फीसदी मनोरंजन करेगी। फिल्म के कुछ अनुभवों, कहानी के बारे में दोनों अभिनेताओं ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

Q. फोन भूत, नाम से ही जाहिर है कि यह एक हॉरर फिल्म है। इस फिल्म में ऐसी कौन-सी नई कहानी है, जो दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच तक लाएगी ?

A. ईशान: यह हॉरर कॉमेडी फिल्म है, जिसमें हॉरर कम कॉमेडी ज्यादा है। हॉरर को लेकर फिल्म में ऐसा खेल खेला गया है कि हॉरर भी पूरी तरह कॉमेडी हो गई है। यह बेहद लाइट फन फिल्म है, जिसमें बहुत ज्यादा डरावनी चीजें नहीं हैं, जितनी आमतौर पर हॉरर फिल्मों में होती हैं।

सिद्धांत: इस फिल्म में भारत के हर कोने के भूत हैं। चुड़ैल है, डायन भी। चुड़ैल पंजाबी है, डायन बंगाली है। हालांकि इसमें जॉन्बीज जैसा कुछ नहीं है। सिर्फ किस्से-कहानियों में सुनाई देने वाली चुड़ैल, डायन है। यूं कहें कि देसी भूत हैं, जिसमें कॉमेडी का तड़का लगाया गया है।

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Q. भूल-भुलैया पार्ट-2 को छोड़कर पिछले कुछ समय में आई हॉरर कॉमेडी फिल्में दर्शकों को बहुत ज्यादा लुभा नहीं पाई हैं। ऐसे में आपको इस फिल्म से क्या उम्मीद है?

A. ईशान: ऐसा नहीं है। स्त्री फिल्म एक लैंडमार्क रही है, जिसमें कॉमेडी और हॉरर का मिश्रण था। हमारी फिल्म थोड़ी अलग है, जिसके किरदार पूरी तरह से नए हैं। सिद्धांत और मैं दोस्त का रोल निभा रहे हैं। उस तरह से एक बड़ी फिल्म भी है। जाने भी दो यारो, अंदाज अपना-अपना जैसी फिल्में जो काफी समय से दिखाई नहीं दी, वैसी ही कुछ टोन इस फिल्म में है। उसी का इस फिल्म में फ्लेवर है।

सिद्धांत: इस फिल्म में हॉरर एक एलिमेंट है लेकिन कमेडी ज्यादा है, जिसमें दो दोस्त सफर पर निकलते हैं और उनके साथ जो कुछ होता है, वह उससे कैसे डील करते हैं वो चीजों को सुधारते हैं लेकिन अनजाने में सुधारते हैं। ऐसा नहीं है कि दोनों दोस्त बड़े स्मार्ट हैं, हीरोईक हैं बल्कि दोनों ही बड़े बेवकूफ हैं, बेरोजगार हैं, जिन्हें पता नहीं है कि जिंदगी में क्या करना है लेकिन यह हॉरर फिल्मों के बड़े फैन है, जिन्हें यह चीजें अपनी तरफ खींचती हैं। इसलिए वह इस यात्रा पर निकलते हैं और देखते हैं कि कैसी-कैसी चुनौतियां हैं। फिल्म में जैकी श्रॉफ एक तांत्रिक का रोल प्ले कर रहे हैं और इन्हीं से लड़ने की असल यात्रा है। कैटरीना रागिनी का रोल प्ले कर रही हैं, जो एक भूत हैं और कैटरीना कैफ ही कहानी में ट्विस्ट लेकर आती हैं।

Q. ओ.टी.टी. का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच फिल्म निर्माण से लेकर सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज करना कितना चुनौतीपूर्ण हो गया है?

A. ईशान: बेहद सिम्पल है कि फिल्में ज्यादा रोमांचकारी, अनोखी व धमाकेदार होनी चाहिए ताकि वह दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच कर लाएं। सिनेमा का अनुभव एक सामुदायिक अनुभव है, जो अकेले घर बैठकर लिए गए अनुभव से बेहद अलग है। सिनेमा में आप हमेशा कुछ सीखते हैं। कॉमेडी फिल्म में सिनेमाघर के भीतर एक साथ हंसने का सामुदायिक अनुभव होता है। इसलिए मेरे हिसाब से सिनेमा कभी पुराना नहीं होगा और इसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।

सिद्धांत: ओ.टी.टी. व सिनेमाघर के बारे में मेरा कहना है कि आज ऑनलाइन शॉपिंग है लेकिन शादी होती है तो शेरवानी खरीदने के लिए दुकान पर जाना पड़ेगा, ताकि सही नाप दिया जा सके। जैसे शादी इवेंट है, वैसे ही सिनेमा एक इंवेंट होना चाहिए, जिसमें जाकर ही शेरवानी का अनुभव किया जा सके। हमारी फिल्म भी शेरवानी है, जो चमक रही है। उस पर कैटरीना कैफ हैं, जिन्हें हर कोई बड़े पर्दे पर देखना चाहेगा। ईशान को डांस करते हुए देखेंगे।

Q. साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को आप कैसे देखते हैं?

A. सिद्धांत: हम खुशकिस्मत हैं कि ऐसा समय आ गया है कि देश के अलग-अलग कोनों से अच्छी फिल्में देखने को मिल रही हैं। इस वक्त सिनेमा बढ़ रहा है। इसमें कौन कम है कौन ज्यादा है, यह तो बिजनेस है। कुछ फिल्में चलती हैं, कुछ नहीं चलती। एक दर्शक के लिहाज से सुखद बात यह है कि देश के कोने-कोने से अलग-अलग कहानियां देखने को मिल रही हैं। बॉलीवुड के स्तर पर पिछले समय में काफी अच्छी फिल्में बनी हैं। इसमें कम या ज्यादा का सवाल नहीं है। स्टॉक मार्केट की तरह उतार-चढ़ाव है।

ईशान: सिनेमा का काम जोड़ने का है। साउथ इंडियन सिनेमा या नार्थ इंडियन सिनेमा की बजाए आज भारतीय सिनेमा कहना सही बात होगी। हां, यह सही है कि दोनों सिनेमा इंडस्ट्री अलग हैं। साऊथ इंडियन इंडस्ट्री शानदार फिल्में बना रही है और बेहतरीन बिजनेस भी कर रही है। यह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए प्रेरणा है। एक बेहतरीन मिसाल है, जिससे मायूस होने की जरूरत नहीं है। अगर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री इससे प्रेरणा लेगी तो सिनेमा का स्टैंडर्ड बढ़ेगा।

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Q. ईशान आपके मुताबिक आज फिल्में ज्यादा रोमांचकारी, मीनिंगफुल होनी चाहिए तो आप इस तरह की फिल्मों का चयन कैसे करते हैं? क्या अच्छा सब्जेक्ट सेलेक्ट करना चुनौतीपूर्ण है?

A. ईशान: चुनौती तो हर फेज में होती है लेकिन मेरे मानना है कि अपने निर्णय इस बात को ध्यान में रखकर लेने चाहिए कि दर्शक किस तरह की फिल्में देखना चाहते हैं। आज दर्शक मनोरंजक फिल्में देखना चाहते हैं क्योंकि हम एक पेंडेमिक कोविड के दौर से गुजरे हैं। आज हर कोई चाहता है कि ज्यादा दबाव न हो, मनोरंजन हो। हमारी फिल्म उसी पर आधारित है। यूं भी कह सकते हैं कि यह घोस्ट बस्टर फिल्म नहीं है बल्कि स्ट्रेस बस्टर फिल्म है।

Q. कैटरीना फिल्म में ट्विस्ट के साथ-साथ एक बिजनेस मॉडल भी लेकर आती हैं। आखिर क्या है उनका बिजनेस मॉडल?

A. ईशान: रागिनी के किरदार में कैटरीना कैफ का एजेंडा एक रहस्य है, जो फिल्म देखने पर ही समझा जा सकता है। हालांकि यह साफ है कि भूत होने के कारण रागिनी का बिजनेस मॉडल मैटेरियलिस्टिक नहीं है। उनका लक्ष्य अलग है। यही एक रहस्य है, जो दर्शक फिल्म देखने पर ही समझ सकेंगे।

Q. ईशान आपके आने वाले एक प्रोजेक्ट 'नेचर फॉर नेचर' को लेकर काफी चर्चा है? आप इस बारे में कुछ बताएं?

A. ईशान:  नेचर फॉर नेचर फिल्म नहीं है। यह कुछ अलग तरह का प्रोजेक्ट है, जिसके बारे में जल्द ही बताया जाएगा। इसके अलावा 'फोन भूत' के बाद जल्द ही 'पीपा' फिल्म रिलीज होने वाली है। यह एक वॉर ड्रामा है। 1971 की जंग पर आधारित यह एक आर्मी फिल्म है।

Q. गहराइयां फिल्म ने आपको एक अलग पहचान दी है। उसके बाद लाइफ कैसे बदली, कुछ इस बारे में बताएं?

A. सिद्धांत: मेरे हमेशा मानना है कि जो करूं, अलग करूं। इसके बाद दो फिल्में आने वाली हैं। पहली 'खो गए हम कहां' और दूसरी एक एक्शन फिल्म है, जिसका नाम 'युद्धरा' है। यह फरहान अख्तर और श्रीधर राघवन ने लिखी है। मेरी कोशिश धरातल से जुड़ी फिल्में करने की है।

Q. फिल्म में आप एक घोस्ट बस्टर हैं? पहले भी कई अभिनेता ऐसे किरदार निभा चुके हैं। आपके किरदार में नया क्या है?

A. सिद्धांत: पहले जिन्होंने भी ऐसे किरदार निभाए हैं, वो काफी टैलेंटेड थे। मेरा किरदार बिल्कुल भी टैलेंट नहीं है। वह जिस सफर पर निकलता है, चीजें खुद-ब-खुद होने लगती हैं। मेरे किरदार के पास कोई शक्ति नहीं है, केवल मासूमियत है। हमारे साथ किस्मत है, जो करते हैं, वो सही हो जाता है।